नाटो के लिए खतरे की घंटी! जंग के बीच चीन के रक्षामंत्री रूस और बेलारूस की यात्रा पर
चीनी रक्षामंत्री ली छह दिनों के दौरे पर हैं। इस दौरान वह मास्को में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होंगे। साथ ही रूस और बाकी देशों के रक्षा मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे।
Russia Ukraine News: रूस और यूक्रेन की जंग जारी है। जहां एक ओर यूक्रेन के सहयोग के लिए 'नाटो' सैन्य संगठन खड़ा हुआ है। वहीं रूस अकेले किला लड़ा रहा है। हालांकि रूस अकेला भी कम नहीं पड़ता है। लेकिन इसी बीच सवाल यह उठ रहा है कि क्या रूस को चीन का साथ मिलने वाला है? चीन के रक्षामंत्री की रूस और बेलारूस यात्रा से यही प्रश्न उठ रहा है। चीन ने अपने रक्षा मंत्री को रूस और उसके करीबी बेलारूस की आधिकारिक यात्रा पर भेजा है। रक्षा मंत्री ली शांगफू का दौरा यह बताने के लिए काफी है कि चीन इन स्थितियों में रूस और बेलारूस के साथ है। जानकारों का कहना है कि पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध के बीच ही रूस और बेलारूस को अलग-थलग करने में लगे हुए हैं। ऐसे में चीनी रक्षा मंत्री का वहां पहुंचना एक बड़ी चुनौती हो सकता है। शांगफू ने सोमवार से अपना छह दिनों का दौरा शुरू किया है। इस दौरान वह कई अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और कई अहम मसलों पर वार्ता कर सकते हैं। जाहिर है इससे अमेरिका और यूरोप के देशों को मिर्ची लग सकती है। क्योंकि वैसे भी रूस के साथ चीन और उत्तर कोरिया का एक अनकहा गुट काम कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने दी आधिकारिक जानकारी
चीन के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर दौरे के बारे में जानकारी दी। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने बताया कि ली छह दिनों के दौरे पर हैं। इस दौरान वह मास्को में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होंगे। साथ ही रूस और बाकी देशों के रक्षा मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। रूस की आधिकारिक TASS न्यूज एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी सम्मेलन में कई मसलों को संबोधित करने वाले हैं। एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि करीब 100 देशों और आठ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है।
दोनों देशों के बीच कायम है संपर्क
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि चीनी और रूसी नेताओं ने कई मुद्दों पर अलग-अलग तरीकों से रणनीतिक संपर्क बनाए रखा है। उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय सहयोग और आपसी हितों के मुद्दों समेत व्यापक विषयों पर संपर्क बना हुआ है। उनकी मानें तो दोनों देश नए युग में चीन-रूस व्यापक रणनीतिक सहयोग साझेदारी को आगे बढ़ाते रहेंगे।
चीन की सक्रियता से पश्चिमी देशों को मिलेगी चुनौती
कॉन्फ्रेंस में ली की मौजूदगी को पश्चिमी देशों को एक चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। रूस से ली, रूस के करीबी बेलारूस की यात्रा पर भी जाएंगे। पिछले साल यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस ने आंशिक तौर पर बेलारूस की जमीन का प्रयोग हमले के लिए किया था। चीन की तरफ से बताया गया है कि ली बेलारूसी नेताओं से मुलाकात करेंगे। साथ ही कुछ मिलिट्री फैसिलिटीज का दौरा भी करेंगे।