Al Zawahiri-MQ-9 Reaper AS Drone: अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को अफगानिस्तान के काबुल में एक ऑपरेशन में ढेर कर दिया है। जवाहिरी 9/11 हमले का मास्टरमाइंड था और ओसामा बिन लादेन के बाद अल-कायदा का सबसे खूंखार आतंकी था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद इस ऑपरेशन की जानकारी दुनिया को दी है और इसके लिए सुरक्षा अधिकारियों को शाबाशी दी है। रविवार को अल-जवाहिरी जिस ऑपरेशन में मारा गया है, उसमें ड्रोन और मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि सीआईए ने MQ-9 Reaper AS ड्रोन का इस्तेमाल किया है।
इस ड्रोन में सबसे खतरनाक मिसाइल R9X लगाई गई थीं। ये ड्रोन और मिसाइल दुश्मन को पलक झपकते ही तबाह कर सकते हैं। इस ड्रोन को प्रीडेटर ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय नौसेना भी MQ-9 Reaper ड्रोन को लेने की कोशिश कर रही है। इसी ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका ने साल 2019 में ईरानी सेना के जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के लिए किया था। इस ड्रोन की सबसे बड़ी खूबी इसी स्पीड है। रीपर ड्रोन 370 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 2000 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को निशाना बना सकता है। ऐसे में हमले से दुश्मन के लिए बच निकलने का कोई मौका ही नहीं होता है।
रडार की पकड़ में नहीं आता ड्रोन
अमेरिकी वायु सेना ने इसे अपना सबसे खतरनाक हथियार बताया है। यह सटीक समय पर दुश्मन पर निशाना लगा सकता है। रीपर ड्रोन इतना घातक है कि सर्विलांस पर भी इसका पता नहीं चलता है। फिर चाहे रडार सिस्टम कितना ही अडवांस क्यों न हो, ये ड्रोन उसकी फ्रिक्वेंसी में नहीं आएगा। ड्रोन में चार लेजर गाइडेड मिसाइल लग सकती हैं। यह न केवल हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम है बल्कि हवा से हवा में भी दुश्मन को ठिकाने लगा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस एक ड्रोन की कीमत करीब 10 करोड़ रुपये है।
ड्रोन पर लगी थीं घातक मिसाइल
जिस ड्रोन से अल-जवाहिरी को मारा गया है, उसपर घातक Kinetic Hellfire R9X मिसाइल लगी हुई थीं। ये वो मिसाइल है, जिसपर बिल्कुल भी बारूद नहीं लगा होता लेकिन इसके ब्लेड किसी को भी मार सकते हैं। जवाहिरी की मौत भी इसी तरह हुई है। जवाहिरी की जान मिसाइल पर लगे तलवार की धार जैसे ब्लेड ने ली है। इन मिसाइलों में लेजर्स लगे थे, जिसके कारण जब दुश्म पर हमला किया जाता है, तो उसका बच निकलना नामुमकिन होता है।
कई हमलों में था शामिल
अल-जवाहिरी ने अल-कायदा के बाकी आतंकियों के साथ मिलकर 12 अक्टूबर, 2000 में यमन में नेवल शिप यूएसएस कोल पर हमला किया था। जिसमें 17 अमेरिकी मरीन की मौत हो गई थी। जवाहिरी ने 7 अगस्त, 1998 को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों को निशाना बनाया था। इन हमलों में 224 लोगों की मौत हो गई थी और 5000 घायल हुए थे। ओसामा बिन लादेन के साथ ही अल-जवाहिरी भी 2001 में अफगानिस्तान छोड़कर भाग गया था, क्योंकि तब यहां अमेरिकी सेना ने प्रवेश किया था। हालांकि मई 2011 में अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान में बिन लादेन को मार गिराया था।
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