Al-Zawahiri Death Zero Dark Thirty: आपने अगर हॉलीवुड फिल्म Zero Dark Thirty देखी होगी, तो कहानी आपको पक्का पसंद आने वाली है। जो कि एकदम असली है, बिल्कुल फिल्म वाली कहानी की तरह। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को ढेर कर दिया है। बिलकुल उसी स्टाइल में, जिस स्टाइल में ओसामा बिना लादेन को मौत के घाट उतारा गया था। ऐसा कहा जा रहा है कि इस हमले में तालिबान सरकार के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के बेटे और दामाद की भी मौत हो गई है। जिस घर पर हुए ड्रोन हमले में जवाहिरी मारा गया है, वो भी सिराजुद्दीन हक्कानी का बताया जा रहा है। मिसाइल घर की खिड़की से अंदर आई और उसने पलक झपकते ही जवाहिरी को मार गिराया।
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने इस हमले को बिलकुल वैसा ही बताया है, जैसा 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में किया गया था। अमेरिका ने उस हमले में ओसामा बिन लादेन को मारा था। इस हमले को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में सोमवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिकी खुफिया विभाग को जवाहिरी के उसके काबुल स्थित घर में अपने परिवार के साथ छिपे होने की जानकारी मिली थी। बाइडेन ने अभियान के लिए पिछले सप्ताह अनुमति दी थी और इसे रविवार को अंजाम दिया गया है। बाइडेन ने कहा, ‘वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने नहीं देगा, क्योंकि वह चला गया है और हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा कुछ दोबारा कभी ना हो। आतंकवाद का सरगना मारा गया। ’
17 कमरों वाले किले में रहता था
जिस तरह के किले में ओसाम बिन लादेन रहता था, ठीक वैसे ही घर में अल-जवाहिरी भी रहा करता था। ये घर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शेरपुर में है। इस चार मंजिला इमारत में एक बेसमेंट भी है और इस बंगले को उसी तरह बनाया गया, जैसा पाकिस्तान में बंगले बनाए जाते हैं। इस किले में कई कमरे हैं, जिन्हें बेडरूम और कार्यस्थल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इसी साल सीआईए को छह महीने पहले अल-जवाहिरी की लोकेशन के बारे में पता चला था।
बीते कुछ महीनों से सीआईए को स्पष्ट हो गया कि आतंकी काबुल के इसी घर में रह रहा है। जवाहिरी अपने घर से बाहर नहीं आया था। फिर सीआईए के रीपर ड्रोन ने दो हेलफायर मिसाइल की मदद से जवाहिरी को मार गिराया। अधिकारियों का कहना है कि तालिबानी नेताओं को पता था कि जवाहिरी इसी घर में रह रहा है। इस ऑपरेशन में एक भी आम नागरिक नहीं मारा गया है।
कई हमलों में था शामिल
अल-जवाहिरी ने अल-कायदा के बाकी आतंकियों के साथ मिलकर 12 अक्टूबर, 2000 में यमन में नेवल शिप यूएसएस कोल पर हमला किया था। जिसमें 17 अमेरिकी मरीन की मौत हो गई थी। जवाहिरी ने 7 अगस्त, 1998 को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों को निशाना बनाया था। इन हमलों में 224 लोगों की मौत हो गई थी और 5000 घायल हुए थे। ओसामा बिन लादेन के साथ ही अल-जवाहिरी भी 2001 में अफगानिस्तान छोड़कर भाग गया था, क्योंकि तब यहां अमेरिकी सेना ने प्रवेश किया था। हालांकि मई 2011 में अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान में बिन लादेन को मार गिराया था।
छह महीने से थी सीआईए की नजर
बाइडेन ने कहा, ‘वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने नहीं देगा, क्योंकि वह चला गया है और हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा कुछ दोबारा कभी ना हो। आतंकवाद का सरगना मारा गया।’ अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के 11 महीने बाद एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी अभियान में अमेरिका ने यह सफलता हासिल की है। मामले से जुड़े पांच लोगों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) ने यह हवाई हमला किया। वह जवाहिरी के पीछे बीते छह महीने से थी।
यही जवाहिरी अमेरिकी नागरिकों की हत्या का मस्टरमाइंड भी रहा है। सीआईए को छह महीने सूचना मिली थी कि जवाहिरी अफगानिस्तान पहुंच गया है। वो यहां अपने परिवार के साथ रहने आया था। बाइडेन ने हालांकि अपने बयान में अमेरिका खुफिया समुदाय की सराहना करते हुए कहा, ‘उनकी असाधारण दृढ़ता और कौशल के लिए धन्यवाद’ जिसकी वजह से यह अभियान ‘सफल’ हुआ। अल-जवाहिरी ने अल-कायद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले 1998 से उसने बिन-लादेन की छत्रछाया में काम किया और बाद में उसके उत्तराधिकारी के तौर पर।
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