भले ही पूरे देश में अभी 5जी का नेटवर्क नहीं पहुंच पाया हो, लेकिन महत्वाकांक्षी देश ने अभी से 6जी नेटवर्क लाने पर भी काम शुरू कर चुका है। इससे साफ है कि अगले एक दो वर्षों में जब पूरा देश 5 जी नेटवर्क से लैश हो रहा होगा, उसके कुछ ही वर्ष बाद 6 जी नेटवर्क भी आने की तैयारी कर चुका होगा। यह तेजी से विकास की पटरी पर दौड़ते और विकसित भारत का सपना देखने वाले देश की प्रबल महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से ही ऐलान कर दिया था कि देश में 6 जी नेटवर्क भी जल्द आएगा। यह विकसित भारत के सपने को पूरा करेगा।
खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र निकाय अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) के अध्ययन समूह ने 6जी प्रौद्योगिकी के तहत व्यापक कवरेज के भारत के दृष्टिकोण को जिनेवा में आयोजित अपनी बैठक में स्वीकार कर लिया है। इस कदम से अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के उपयोग की लागत कम होने की उम्मीद है। आईटीयू के पास अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार मानकों को विकसित करने की जिम्मेदारी है।
जिनेवा की बैठक में भारत की महत्वाकांक्षा पर लगी यूएन की मुहर
बुधवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘मौजूदा बैठक में, कुछ सदस्य देशों के प्रतिरोध के प्रयासों के बावजूद दूरसंचार विभाग ‘व्यापक संपर्क सुविधा’ को सफलतापूर्वक शामिल कराने में सफल रहा।’’ जिनेवा में 25-26 सितंबर, 2023 को आयोजित आईटीयू अध्ययन समूह (एसजी-5) की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। आईएमटी 2030, को 6जी के नाम से भी जाना जाता है। इसे आईटीयू-आर अध्ययन समूह 5 से जुड़ा कार्यकारी समूह विकसित कर रहा है। आईटीयू सदस्य सत्य एन गुप्ता ने कहा कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के साथ भारत का 6जी के दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है। (भाषा)
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