श्रीलंका और पड़ोसी पाकिस्तान के बाद अब तालिबान शासित अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है। इससे तालीबानियों को कुछ सूूझ नहीं रहा है। वैसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर आतंकवाद का ही पैसा लगा है। इसलिए भी अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है।
गिरती अर्थव्यवस्था के खतरों के मद्देनजर अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक दा अफगानिस्तान बैंक (डीएबी) ने राष्ट्रीय मुद्रा अफगानी के एक्सचेंज रेट को स्थिर करने के लिए रविवार को नीलामी के जरिए 14 मिलियन डॉलर को बेच डाला है। बैंक ने रविवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय मुद्रा अफगानी बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्राओं, विशेष रूप से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लड़खड़ा रही है।
इस हफ्ते भी गिरी अफगानी मुद्रा
अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कई महीनों से जारी गिरावट का दौर इस हफ्ते भी देखने को मिला। मौजूूदा वक्त में एक अमेरिकी डॉलर की एक्सचेंज रेट (विनिमय दर) पिछले सप्ताह की 86 अफगानी से बढ़कर रविवार को 87.15 अफगानी हो गई। अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक ने देश की मुद्रा की गिरावट को रोकने के लिए पिछले एक महीने में मनी-एक्सचेंज मार्केट में लाखों अमेरिकी डॉलर लगाए हैं। अफगानिस्तान को बीते 18 महीनों में नकदी-संकटग्रस्त देश के आर्थिक पतन को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मानवीय सहायता के हिस्से के रूप में 2 बिलियन डॉलर से ज्यादा की नकदी प्राप्त हुई है।
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