पाकिस्तान इन दिनों काफी बुरे दौर गुजर रहा है। देश की हालत इतनी खराब है कि लोग रोटी के लिए तरस रहे हैं। दाल, चीनी के लिए छीना झपटी हो रही है। अपने लोगों की हालत सुधारने के लिए पाकिस्तान के नेता कई देशों के सामने हाथ पसार रहे हैं। हालत इतनी बूरी हो गई है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहायता मांगने के लिए देश-देश भटक रहे हैं, लेकिन चीन जो खुद को पाकिस्तान का बड़ा भाई बताता है वह काफी शांत मुद्रा में बैठा हुआ है। मानों वह पाकिस्तान की गरीबी का तमाशा देख रहा हो।
दोस्त भी मदद के लिए आगे नहीं आएगा?
2015 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान का दौरा किया तो उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे वे अपने छोटे भाई के घर आए हों। अब उसका छोटा भाई संकट में है। एक ओर आतंकवाद सिर उठा रहा है तो दूसरी ओर आर्थिक समस्याएं बढ़ रही हैं। इन सबके बीच अब अर्थव्यवस्था के जानकार पूछ रहे हैं कि क्या ये दोस्त भी मदद के लिए आगे नहीं आएगा?
पाकिस्तान की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं
चीन की हेबेई यूनिवर्सिटी के रिसर्च फेलो राजनीतिक अर्थशास्त्री शकील अहमद रमी के अनुसार दुनिया तेजी से बदल रही है और नई चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। पाकिस्तान में स्थिति अलग है। यहां राजनीतिक दल आपस में लड़ रहे हैं और देश में स्थिति और भी जटिल हो गई है। उन्हें किसी भी कीमत पर सत्ता की परवाह है। देश की अर्थव्यवस्था एक आम आदमी की कमर तोड़ रही है। राजनेताओं ने देश में हालात खराब कर दिए हैं। इन सबके बीच पश्चिमी देशों और चीन के बीच एक तरह का कोल्ड वॉर चल रहा है। इस वजह से पाकिस्तान की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं।
चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है
चीन वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह 1400 मिलियन उपभोक्ताओं का सबसे बड़ा बाजार है। इसका सीधा फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है। चीन खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। मांस, सोयाबीन, सी-फूड के अलावा फल, गेहूं और डेयरी उत्पादों के निर्यात में यह आगे है। चीन का खाद्य बाजार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकता है। ऐसे में पाकिस्तान के राजनेताओं को सोचना होगा कि वे इस दिशा में चीन के साथ कैसे काम कर सकते हैं।
150 बाजारों से जुड़ सकता है पाकिस्तान
ऐसा करके पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तान को चीन से अच्छी गुणवत्ता वाली सस्ती खाद्य सामग्री भी मिल सकती है। पाकिस्तान चीन की प्रमुख परियोजना, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का घर है। बीआरआई के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) वह कार्यक्रम है जिसके जरिए अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदल सकती है। साथ ही देश भी पटरी पर आ सकता है। पाकिस्तान सीपीईसी का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए कर सकता है। BRI सबसे बड़ा कार्यक्रम है जिसमें 149 देश सदस्य हैं। ऐसे में पाकिस्तान बीआरआई के जरिए दुनिया के 150 बाजारों से जुड़ सकता है।
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