वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर लंबे समय से भारत और चीन के बीच विवाद बना हुआ है। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के रक्षा अधिकारियों ने 27 वीं बैठक की है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई बिंदुओं पर सहमति जताने की बात कही गई है, लेकिन भारत के लिए ड्रैगन की बातों पर भरोसा कर पाना मुश्किल है। चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा व समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग ल्यांग और भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) डॉ. शिल्पक एंबुले ने 31 मई को नई दिल्ली में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 27वीं बैठक की सह-अध्यक्षता की।
बैठक में दोनों देशों के विदेश मामलों, रक्षा और आव्रजन विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दोनों पक्षों ने पिछले राजनयिक और सैन्य संचार की उपलब्धियों का सक्रिय आकलन किया और आम चिंता वाले मुद्दों और बाद में कार्य विचारों पर गहन रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया और कई सहमतियां प्राप्त कीं। पहला, दोनों पक्षों ने हाल ही में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा प्राप्त की गई सहमति को लागू करने पर पूरी तरह से विचारों का आदान-प्रदान किया और सीमा के पश्चिमी क्षेत्र के समाधान जैसे संबंधित मुद्दों को गति देने पर सहमति व्यक्त की।
अभी तक नहीं निकल सका हल
जून 2020 में गलवान घाटी और फिर नवंबर 2022 में तवांग में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सेना के साथ झड़प करने के बाद से ही दोनों देशों में तनाव का दौर कायम है। मगर अब 27 वीं बैठक में तीन बिंदुओं में पर बातचीत की गई है। इसमें दूसरा बिंदु यह है कि दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखने, सीमा की स्थिति को हल करने को बढ़ावा देना जारी रखने और सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की। तीसरा, दोनों पक्ष 19वें दौर की सैन्य कमांडर-स्तरीय वार्ता और डब्ल्यूएमसीसी की 28वीं बैठक जल्दी से आयोजित करने पर सहमत हुए।
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