Explainer: सीपीईसी प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे, जानिए पाकिस्तान ने क्या पाया, चीन ने क्या खोया, पूरा हो सकेगा जिनपिंग का ख्वाब?
चीन के उपप्रधानमंत्री पाकिस्तान के दौरे पर हैं। सीपीईसी प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वे पाकिस्तान आए हैं। सवाल यह उठता है कि पिछले 10 साल में क्या चीन का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जिनपिंग के ख्वाब पूरे कर पाया? क्या पाकिस्तान ने बड़ी होशियारी के साथ इस प्रोजेक्ट की धनराशि का उपयोग दूसरे कामों में किय
10 Years of CPEC Project: चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी प्रोजेक्ट को 10 साल पूरे हो गए हैं। इन 10 सालों में पाकिस्तान को क्या हासिल हुआ, चीन ने कई अरब डॉलर की भारी भरकम धनराशि अब तक इस प्रोजेक्ट पर लगाने के बाद क्या हासिल किया, ये जानना जरूरी है। लेकिन इससे पहले बता दें कि चीन के उपप्रधानमंत्री हे लिफेंग इस प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पाकिस्तान पहुंचे हैं। वह 30 जुलाई से एक अगस्त तक अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक करेंगे। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने दोनों देशों के अच्छे संबंधों की दुहाई भी चीनी उपप्रधानमंत्री की इस यात्रा के मद्देनजर की है। सवाल यह है कि 10 साल में सीपीईसी परियोजना की गति क्या रही, चीन इससे संतुष्ट हुआ? पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट से क्या हासिल हुआ, यह सब जानने के लिए पढ़िए यह खबर।
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे CPEC के 10 साल पूरे होने पर यह तो समझा ही जा सकता है कि चीन ने इस प्रोजेक्ट को लेकर जो ख्वाब देखा था, वो अभी तक यथार्थ के धरातल पर नहीं उतर पाया है। चीन के लिए इस प्रोजेक्ट को लेकर यह बात कही जा सकती है कि 'रहा भी न जाए, सहा भी न जाए।' क्योंकि यह प्रोजेक्ट चीन का ख्वाब है। हकीकत यह है कि पाकिस्तान में 10 साल तक इस प्रोजेक्ट को चलाने के बाद भी वांछित उद्देश्य को चीन प्राप्त नहीं कर पाया है। इसे पाकिस्तान की होशियारी भी कह सकते हैं कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए मिली चीनी धनराशि का उपयोग कितना करता है।
60 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है सीपीईसी प्रोजेक्ट पर चीन
कभी चीनी अधिकारियों पर हमले, कभी बलूचिस्तान और सिंध प्रांत के लोगों का विरोध, ऐसे कई बड़े अड़ंगे इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, जिसने कई बार चीन को इस प्रोजेक्ट को बंद करने तक सोचने पर मजबूर कर दिया, जबकि चीन ने सीपीईसी प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान में लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसमें पाकिस्तान से चीन तक सड़क और रेल मार्ग के निर्माण के अलावा कई ऊर्जा परियोजनाओं की भी परिकल्पना की गई थी। चीन का ख्वाब पाकिस्तान को एक सैटेलाइट स्टेट की तरह इस्तेमाल करने का भी रहा है, लेकिन पाकिस्तान बड़ी होशियारी के साथचीन की चाल को पूरी नहीं होने देता।
सीपीईसी प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का शुरुआती उदाहरण बना था। चीन पूरी दुनिया के गरीब देशों को सीपीईसी का उदाहरण देकर बीआरआई यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल करता रहा। हालांकि, उनमें से कई देश आज चीनी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। पिछले महीने सीपीईसी के 10 साल पूरे होने के अवसर पर बोलते हुए पाकिस्तान के योजना, विकास और सुधार मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि 25 अरब डॉलर की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और सरकार अब उन परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिन्हें मूल रूप से 2020 तक पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था।
सीपीईसी और पाकिस्तान, क्या मिल पाई बिजली?
पाकिस्तान का कहना है कि इस सीपीईसी प्रोजेक्ट से 13 विद्युत परियोजनाएं और 4 हजार मेगावाट बिजली ट्रांसमिशन लाइन पर काम हो चुका है। प्रोजेक्ट से पाकिस्तान के विद्युत ग्रिड के लिए 1 तिहाई बिजली मिलती है। यानी बाकी दो तिहाई बिजली आज भी दूसरे सोर्स पर निर्भर है। यही कारण है कि पाकिस्तान में जरूरत से बहुत कम बिजली है। हाल के समय में पाकिस्तान में बिजली की कमी से छाया अंधकार इस बात का उदाहरण है।
सड़क और परिवहन को हुआ फायदा
पाकिस्तान में सीपीईसी प्रोजेक्ट से सड़क और परिवहन दुरुस्त हुआ है। बंदरगाह भी डेवलप हुए, जिसने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में योगदान दिया। खुद पाकिस्तान का कहना है कि सीपीईसी ने पाकिस्तान को उत्तर से दक्षिण तक प्रमुख परिवहन नेटवर्क को बेहतर बनाने में प्रभावी ढंग से मदद की। परियोजना ने बंदरगाहों, हवाई अड्डों और सड़कों का जाल बिछाया है। इस परियोजना ने लाहौर में ऑरेंज लाइन मेट्रो ट्रेन सहित कई बुनियादी ढांचे की नींव रखी है। पाकिस्तान का यह भी दावा है कि सीपीईसी ने पाकिस्तान में 2.30 लाख से अधिक नौकरियां जनरेट की हैं। हालांकि ये आंकड़े सरकारी हैं, इस पर किसी तीसरे पक्ष का आकलन नहीं है। सरकार अपने नंबर बढ़वाने के चक्कर में ऐसे बड़े दावे भी कर सकती है। क्योंकि दूसरी ओर पाकिस्तान के विशेषज्ञ इतने बड़े पैमाने पर नौकरियां देने के सरकार के दावे का खारिज ही करते हैं।
अधूरी परियोजनाएं चीन के लिए भी परेशानी का सबब
2013 में शुरू हुई अधिकांश सीपीईसी परियोजनाएं 2020 की समय सीमा के साथ पूरी हो चुकी हैं। लेककिन कई परियोजना पाकिस्तानी सरकारों की अस्थिरता के कारण अधर में लटकी हैं। पाकिस्तान की सरकारें देश के हालातों और खराब अर्थव्यवस्था के भंवर में उलझी रही है। इस कारण भी कई परियोजना कार्यों की सांसें फूल गईं। पाकिस्तान अभी भी नौ विशेष आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र स्थापित कर रहा है जहां चीनी कंपनियों के निवेश की उम्मीद है। सीपीईसी के 10 साल पूरा होने के अवसर पर पाकिस्तान सरकार ने जोन को पूरा करने मे देरी के लिए पिछली सरकार को दोषी ठहराया।
पाकिस्तान ने कोरोना का बनाया बहाना, चीन ने दावा किया खारिज
वहीं, पीएम शहबाज शरीफ ने सीपीईसी के काम में मंदी के लिए पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल के साथ-साथ कोविड-19 को भी जिम्मेदार ठहराया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पहले की रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि सीपीईसी को महामारी के दौरान किसी भी मंदी का सामना करना पड़ा। वर्जीनिया में विलियम एंड मैरी कॉलेज की शोध प्रयोगशाला के एक वैज्ञानिक की मानें तो औद्योगिक क्षेत्रों के देरी से पूरा होने से चीनी निवेश धीमा हो गया है। अब पाकिस्तान सरकार का कहना है कि चीन का पाकिस्तान में निवेश पर बहुत कुछ दांव पर लगा है और वह कुछ क्षेत्रों में प्रगति की कमी को लेकर चिंतित हो सकता है।