नई दिल्ली: विवादों को वार्ता के माध्यम से सुलझाने की प्रतिबद्धता जताते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को ‘‘पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर’’ करने की नीतियों के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि मजबूत देशों को कमजोर देशों को ‘‘ताकत दिखाकर’’ नहीं डराना चाहिए। उन्होंने यह भी चेताया कि ‘‘शीत युद्ध, गर्म युद्ध, व्यापार युद्ध या तकनीक युद्ध’’ किसी भी तरह की लड़ाई से सभी देशों के हित प्रभावित होंगे और यह हर सभी के हितों के खिलाफ है।
उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के हफ्ते भर ऑनलाइन चलने वाले दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें मतभेदों का सम्मान करना चाहिए, दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में पड़ने से बचना चाहिए और मतभेदों को विचार-विमर्श एवं वार्ता के माध्यम से सुलझाना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बृहस्पतिवार को सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
राष्ट्रपति शी ने कहा, ‘‘हमने बार-बार देखा है कि पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर करने, अकेले चलने और घमंड में अलग रहने की नीति हमेशा विफल होती है।’’ ‘पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर’ करने की नीति का मतलब होता है कि कोई देश इस तरह की आर्थिक नीतियां अपनाता है कि उसकी अपनी समस्याएं सुलझ जाएं लेकिन उससे दूसरे देशों की स्थिति खराब हो जाती है। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन हाल के समय में चीन के संबंध अमेरिका और भारत सहित कई देशों से खराब हुए हैं।
चीन के राष्ट्रपति ने व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील करते हुए कहा कि कोविड-19 से जंग में दुनिया भर में प्रारंभिक प्रगति के बावजूद महामारी अपने अंत से अभी बहुत दूर है। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक जन स्वास्थ्य प्रशासन को उन्नत करने की जरूरत है। किसी भी वैश्विक समस्या का समाधान कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता है। सभी के लिए स्वास्थ्य की व्यवस्था के निर्माण की खातिर हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन को पूरी भूमिका निभाने की छूट देनी होगी।’’ उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन में सुधार की जरूरत है।
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