काठमांडू: भूकंप से तबाह हुए नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा अभी टला नहीं है। आने वाले हफ्तों में वहां भूस्खलन और हिमस्खलन होने की प्रबल आशंका है। यह चेतावनी अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन के वैज्ञानिकों ने दी है। दरअसल, भूकंप से हिली नेपाल की जमीन पर बारिश के बाद कई जगह दरारें आ गई हैं। इसके चलते आने वाले दिनों में कभी भी भूस्खलन या हिमस्खलन से बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है।
यूनिवर्सिटी की ओर से बताया गया है कि भूकंप के कारण नेपाल में आने वाले हफ्तों में बड़ा भूस्खलन या फिर जमीन धंसने जैसी घटनाएं हो सकती हैं। इसके अलावा, मानसून के दौरान भी नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बरकरार रहेगा। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि नेपाल-तिब्बत सीमा इलाके में भू-स्खलन का खतरा ज्यादा है। इसके अलावा, उत्तरी काठमांडू और वेस्ट माउंट एवरेस्ट में भी पहाड़ की चोटियां अपना स्थान बदल सकती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के भू-वैज्ञानिक मारिन क्लॉर्क के अनुसार अगले कुछ हफ्तों या महीनों में भूकंप के केंद्र से लेकर दस हजार से ज्यादा जगहों पर भूस्खलन होने की आशंका अधिक है। क्लार्क और उनके दो साथियों ने नेपाल में पिछले शनिवार को भूकंप के बाद कुछ शोध कार्य किया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, नेपाल में भूकंप के कारण एवरेस्ट पर अब तक चार बड़े हिमस्खलन हो चुके हैं। अगर आने वाले महीनों में मानसून के दौरान भूकंप के कुछ और झटके आते हैं तो एवरेस्ट, इंडियन ग्लेशियर के साथ ही तिब्बत के ग्लेशियरों में टूट-फूट होने और दरार पड़ने का खतरा है। यदि ऐसा हुआ तो ग्लेशियर टूटेंगे और हैंगिंग ग्लेशियरों में हिमस्खलन का खतरा भी होगा।
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