बीजिंग: चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह चीनी कोविड-19 टीके से टीकाकरण के अपने नए नियम को उन हजारों भारतीय छात्रों पर लागू होने का ‘अध्ययन’ करेगा, जो यात्रा प्रतिबंधों के कारण देश में अपने शिक्षण संस्थानों में अध्ययन के लिए वापस नहीं आ पा रहे हैं। 15 मार्च को भारत में चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी एक नोटिस में, चीन ने भारत और 19 अन्य देशों से आने वाले लोगों के लिए चीन-निर्मित कोविड-19 टीके लगवाना अनिवार्य किया गया था, यदि वे देश की यात्रा करना चाहते हैं।
चीन के दूतावास पर डाले गए एक नोटिस में कहा गया है, ‘15 मार्च, 2021 से लोगों के बीच सम्पर्क को क्रमबद्ध तरीके से फिर से शुरू करने के उद्देश्य से, भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास उन लोगों को प्रमाणपत्र जारी करेंगे जिन्होंने चीन निर्मित कोविड-19 टीके लगवा लिए हैं।’ उसने कहा कि यह नियम उन व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों पर लागू होगा जो काम फिर से शुरू करने के लिए चीन की यात्रा करना चाहते हैं और उन विदेशियों पर जो चीन के नागरिकों के परिवार के सदस्य हैं या जिनके पास चीन का स्थायी निवासी का परमिट है।
हालांकि, इसमें उन हजारों भारतीय छात्रों के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है जो एक साल से अधिक समय से भारत में फंसे हुए थे। नए नियम ने भ्रम उत्पन्न किया क्योंकि चीनी कोविड-19 टीका भारत में उपलब्ध नहीं हैं। 23,000 से अधिक भारतीय छात्रों ने चीनी विश्वविद्यालयों में दाखिला लिया है और उनमें से अधिकांश यात्रा प्रतिबंधों के कारण चीन नहीं लौट पाए। यह पूछे जाने पर कि क्या टीकाकरण का नया नियम भारतीय छात्रों पर लागू होता है, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘चीन सरकार चीन में विदेशी छात्रों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उच्च महत्व देती है।’
इस मसले पर उन्होंने आगे कहा, ‘निषिद्ध प्रोटोकॉल का पालन करने की शर्त पर, चीनी अधिकारी इस मामले का समन्वित तरीके से अध्ययन करेंगे और संबंधित पक्षों के साथ संवाद बनाए रखेंगे।’ उन्होंने नयी दिल्ली में चीनी दूतावास के हवाले से दी गई उस खबर को ‘सही नहीं’ करार दिया कि अगर भारत सरकार अनुमति देती है तो चीन भारतीय यात्रियों के लिए भारत में चीनी टीके उपलब्ध कराएगा। झाओ ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आपके द्वारा उल्लिखित खबर सही नहीं है।’
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