नई दिल्ली: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 272 सीटों के लिए बुधवार को चुनाव हुए थे और करीब 53 फीसदी मतदान हुआ था। कल शाम से ही वोटों की गिनती चल रही है और शाम तक पाकिस्तान के नए निज़ाम का फैसला हो जाएगा लेकिन फिलहाल जो स्थिति है, ऐसा लग रहा है पाकिस्तान में किसी एक पार्टी की सरकार नहीं बन पाएगी। आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन तय है। रुझानों और नतीजों में सौ से ज्यादा सीटों पर आगे इमरान खान की पार्टी है लेकिन सवाल है बहुमत के लिए बाकी सीटें कहां से लाएगी पीटीआई?
क्या इमरान खान और बिलावल भुट्टो के बीच एक ऐसा रिश्ता बनेगा जो नवाज शरीफ की पार्टी को सत्ता से दूर रख सके? पाकिस्तान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वालों का मानना है कि इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में बिलावल की अगुवाई वाली पीपीपी किंग मेकर के तौर पर उभर सकती है।
चुनाव में मुख्य मुकाबला जहां पीएमएल-एन और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच माना जा रहा है, वहीं दोनों में से किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में पीपीपी इनमें से किसी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार में भागीदार हो सकती है। खुद बिलावल भी कई इंटरव्यू में गठबंधन सरकार के समर्थन के बारे में कह चुके हैं।
फिलहाल जो स्थिति है उसके मुताबिक इमरान की पीटीआई और बिलावल की पीपीपी मिल जाए तो आसानी से बहुमत का आंकड़ा हासिल किया जा सकता है। पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 137 सीटें चाहिए।
पाकिस्तान में जो हो रहा है। वो भारत के लिए सिर्फ एक सियासी घटना नहीं है। द्विपक्षीय संबंधों की किताब को फिर से पलटकर देखने का मौका है क्योंकि जानकार कहते हैं अगर सरहद के पार गठबंधन की सरकार बनती है तो पड़ोस के देश में फौजी बूटों और बंदूकों की धमक संसद के अंदर तक सुनाई पड़ेगी।
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