कौन हैं शेर बहादुर देउबा? 5वीं बार नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली
शेर बहादुर देउबा ने कला और कानून में स्नातक की डिग्री और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ले रखी है। उन्हें नवंबर 2016 में भारत की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
काठमांडू: उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पांचवीं बार देश के प्रधानमंत्री बने। यहां आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 75 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिक नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शुरू में समारोह का आयोजन शाम छह बजे (भारतीय समयानुसार पौने छह बजे) होना था लेकिन इसमें इसलिए विलंब हुआ, क्योंकि देउबा ने कहा कि वह तब तक पद की शपथ नहीं लेंगे जब तक राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति के नोटिस में संशोधन नहीं करतीं।
प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि देउबा को संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए। ‘द हिमालय टाइम्स’ ने खबर दी है कि राष्ट्रपति कार्यालय ने उस अनुच्छेद के बारे में नहीं बताया था जिसके तहत देउबा को प्रधानमंत्री बनाया जा रहा है। अखबार के मुताबिक, कानूनी सलाह लेने के बाद देउबा ने राष्ट्रपति भंडारी को एक संदेश भेजा कि जब तक त्रुटि ठीक नहीं हो जाती, वह शपथ नहीं लेंगे।
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा नोटिस में संशोधन किया गया जिसके दो घंटे बाद, रात करीब सवा आठ बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ। देउबा के साथ चार नए मंत्रियों ने भी शपथ ली है जिनमें नेपाली कांग्रेस (नेकां) और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के दो-दो सदस्य शामिल हैं। नेकां के बालकृष्ण खंड और ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने क्रमशः गृह मंत्री और कानून तथा संसदीय कार्य के मंत्री के रूप में शपथ ली है। माओइस्ट सेंटर से पम्फा भुषाल और जनार्दन शर्मा को क्रमश: ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है।
इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश राणा, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल भी मौजूद थे। यह पांचवीं बार है जब देउबा ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता में वापसी की है। उन्होंने 69 वर्षीय के पी शर्मा ओली का स्थान लिया है जिन्होंने शीर्ष अदालत पर विपक्षी पार्टियों के पक्ष में ‘जानबूझकर’ फैसला पारित करने का आरोप लगाया है।
इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति भंडारी के निजी सचिव बहेश राज अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया, “उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप, राष्ट्रपति भंडारी ने देउबा को प्रधानमंत्री नामित किया है।” संवैधानिक प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के बाद देउबा को 30 दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रधानमंत्री ओली के 21 मई के संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को रद्द कर दिया था और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि प्रधानमंत्री के पद पर ओली का दावा असंवैधानिक है।
बता दें कि शेर बहादुर देउबा का जन्म 13 जून 1946 को हुआ था। उन्होंने स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। साल 1965 से 1968 तक उन्होंने सुदूर-पश्चिमी छात्र समिति, काठमांडू के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1960 और 1970 के दशक में कई बार जेल गए।
शेर बहादुर देउबा ने कला और कानून में स्नातक की डिग्री और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ले रखी है। उन्हें नवंबर 2016 में भारत की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
देउबा इससे पहले चार बार- पहली दफा सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक- प्रधानमंत्री रह चुके हैं।