क्या जैक मा को चीन ने नजरबंद करके रखा हुआ है? मीडिया में आई खबरों से बढ़ी आशंका
अब खबर आई है कि हो सकता है कि चीन सरकार की आलोचना करने वाले जैक मा गिरफ्तार या नजरबंद हो सकते हैं।
चीन के सबसे प्रसिद्ध कारोबारी और अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा की गुमशुदगी की खबरें जैसे ही सामने आईं, दुनिया भर में तहलका मच गया। अब खबर आई है कि हो सकता है कि चीन सरकार की आलोचना करने वाले जैक मा गिरफ्तार या नजरबंद हो सकते हैं। जैक मा करीब दो महीने से सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए हैं। इस बीच चीन की मीडिया में ऐसी खबरें आयी हैं कि जैक मा सरकारी एजेंसियों की निगरानी में हैं।
हांगकांग के अखबार एशिया टाइम्स की खबर के मुताबिक दुनिया के 100 सबसे अमीर शख्सों में शुमार जैक मा सरकारी निगरानी का सामना कर रहे हैं। हालांकि चीनी सरकार की ओर से इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। इतिहास पलट के देखें तो पहले भी चीन की कई बड़ी हस्तियां सरकार से मुखालफत करने के चलते सरकारी गुस्से का शिकार हुई हैं। वहीं इस बार भी चीन की सरकार किसी तरह की जानकारी सार्वजनिक करने से बच रही है। इसलिए ऐसा लगता है कि निगरानी के तहत रखने का मतलब जैक मा के जेल जाने से ही है।
सरकार से लिया था पंगा
दुनिया की सबसे बड़ी ईकॉमर्स कंपनी अलीबाबा और एएनटी ग्रुप के फाउंडर जैक मा पिछले दो महीने से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं। पिछले साल कई मौकों पर वे चीन सरकार की नीतियों की आलोचना कर चुके थे। जिसके बाद उनकी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की गयी थी। यहां तक कि उनकी कंपनी द्वारा लाया जा रहा दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ भी कुछ ही घंटे पहले चीनी सरकार ने रोक दिया था।
कंपनी के कार्यक्रमों से रहे नदारद
जैक मा के इस तरह गायब होने के बाद कई तरह के संदेह भी जाहिर किए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसियों के मुताबिक हाल में अफ्रीका में अपने कंपनी से जुड़े एक बड़े कार्यक्रम अफ्रीका बिजेनस हीरोज में भी वे नजर नहीं आए। उनकी तस्वीरें भी शो की वेबसाइट से हटा दी गयीं।
सरकारी मीडिया ने बनाया खलनायक
एक समय चीन के सबसे सम्मानित कारोबारी रहे जैक मा अब सरकारी मीडिया की नजर में किसी खलनायक से कम नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया द्वारा जैक मा के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार भी शुरू हो गया है। उनकी छवि क्रूर धन हड़पने वाला शैतान कारोबारी के रूप में दिखायी जाने लगी है।
चीन की सरकार की नीतियों के आलोचक हैं जैक मा
जैक मा को कम्युनिस्ट देश चीन के लिहाज से काफी मुखर माना जाता है। पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने चीन के शहर शंघाई में चीन के वित्तीय नियामकों और सरकारी बैंकों की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने वैश्विक बैकिंग नियमों को ।बुजुर्गों का क्लब करार दिया था। उन्होंने चीन सरकार से आग्रह किया था कि सिस्टम में बदलाव किया जाना चाहिए ताकि कारोबार में नई पहल करने में कोई हिचके नहीं।