A
Hindi News विदेश एशिया क्या है ऑपरेशन सर्चलाइट? ढाका में पीएम मोदी ने किया इसकी क्रूरता का जिक्र

क्या है ऑपरेशन सर्चलाइट? ढाका में पीएम मोदी ने किया इसकी क्रूरता का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाका में आयोजित आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिये लड़ने वाले भारतीयों को श्रद्धांजलि दी। 

What is Operation Searchlight, Operation Searchlight, Operation Searchlight Dhaka- India TV Hindi Image Source : PTI पीएम नरेंद्र मोदी ने ढाका में अपने संबोधन के दौरान ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ का जिक्र किया।

ढाका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढाका में आयोजित आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिये लड़ने वाले भारतीयों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने दोनों देशों के संघर्ष को भी याद किया और साझी विरासत पर भी अपने विचार रखे। पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ का जिक्र करते हुए कहा कि उस क्रूरता की विश्व में उतनी चर्चा नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए। क्या था ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ और किसने की थी बांग्लादेशियों पर क्रूरता? आइए, जानते हैं:

याह्या खान का ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’
'ऑपरेशन सर्चलाइट' को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या खान की निगरानी में पाकिस्तान की सेना ने मार्च 1971 में अंजाम दिया था। तब के पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में उठ रही आजादी को कुचलने वाले सैन्य अभियान को 'ऑपरेशन सर्चलाइट' कोडनेम दिया गया था। पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने उस समय पूर्वी पाकिस्तान रहे बांग्लादेश पर 25 मार्च 1971 की आधी रात को अचानक हमला कर दिया था। इस हमले के पीछे का प्लान यह था कि पूर्वी पाकिस्तान के प्रमुख शहरों पर 26 मार्च को कब्जा कर लिया जाए, और चुनावों में भारी सफलता हासिल करने वाले बंगाली विपक्ष को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। पाकिस्तानी सेना ने बंगाली बुद्धिजीवियों, राष्ट्रवादियों और हिंदुओं को जमकर निशाना बनाया था।

और शुरू हुआ बंगालियों का नरसंहार
पश्चिमी पाकिस्तान को लगा था कि वह जल्द ही पूर्वी पाकिस्तान को अपने काबू में कर लेगा, लेकिन यह उसकी बड़ी भूल साबित हुई। ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ से शुरू हुई क्रूरता का अंत खिंचता चला गया और यह बांग्लादेश की आजादी के साथ ही रुक पाया। विभिन्न आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की बर्बर कार्रवाई में लगभग 30 लाख निर्दोष बंगाली और 1.5 लाख के आसपास बिहारी नागरिक मारे गए थे। पाकिस्तानी सेना के इसी ऑपरेशन के चलते बांग्लदेश की आजादी की मांग ने जोर पकड़ लिया और देश को आजादी दिलाने के लिए मुक्ति वाहिनी का गठन किया गया जिसमें सैनिक और आम नागरिक दोनों शामिल थे। आखिरकार, 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर एक नए देश के रूप में सामने आया।

Latest World News