नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग को लेकर मौलाना फजलुर रहमान पिछले चार दिन से इस्मालाबाद में डटे हैं। मौलाना ने शुक्रवार को इमरान खान को 48 घंटे का वक्त दिया था लेकिन इमरान खान का इस्तीफा नहीं आया और पाकिस्तान की फौज ने भी इस पूरे मामले से किनारा कर लिया। अब सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। सोमवार को दिनभर इमरान खान और मौलाना के डेलीगेशन के बीच बातचीत का दौर चला लेकिन नतीजा नहीं निकला। इसके बाद मौलाना ने कहा कि उनके पास दूसरे प्लान भी तैयार हैं, अब पीछे नहीं हटेंगे।
मौलाना ने कहा, “इमरान खान सुन लो, ये आंदोलन, ये सैलाब आगे बढ़ता जाएगा। यहां तक कि तुझे सत्ता से बाहर उठाकर बाहर फेंक देगा। अगर ये सैलाब वजीर-ए-आजम के घर बढ़ने का फैसला कर ले तो किसी का बाप भी नहीं रोक सकता लेकिन हम अमन चाहने वाले हैं। हमने नहीं करना ऐसे।“ मौलाना ने इस बात का इशारा कर दिया कि वो 2014 में इमरान की तरह आईन और कानून को हाथ में नहीं लेंगे।
मौलाना की तकरीर से ये तो साफ हो गया कि आजादी मार्च कानून और आईन को हाथ में नहीं लेगा। इस बात से इमरान और बाजवा की आर्मी को फौरी राहत मिल गई है लेकिन आने वाले दिन मौलाना के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। क्या है मौलाना का प्लान बी और सी? क्या करेंगे मौलाना?
मौलाना फजलुर रहमान ने कहा, “कई पत्रकारों से मेरी बात हुई कि आप यहां से जाएंगे तो वो इसे आपकी शिकस्त बताएंगे, हम यहां से जाएंगे तो आगे आगे बढ़ने की सूरत में जाएंगे। आगे बढ़कर उससे सख्त हमला करने की तरफ जाएंगे और हुक्मरानों को बताएंगे आज एक इस्लामाबाद बंद है, इंशाअल्लाह पूरा पाकिस्तान बंद करके दिखाएंगे। आज इस्लामाबाद में मार्च है, कल पूरे पाकिस्तान में मार्च करके दिखाएंगे लेकिन ये सफर रुकेगा नहीं ये सैलाब अब थमेगा नहीं।“
मतलब ये कि मौलाना की तकरीर के बाद इमरान जो राहत की सांस ले रहे थे वो मुश्किल खत्म नहीं हुई है। जंग जारी रहेगी। चार दिनों तक सिर्फ इस्लामाबाद बंद था अब पूरा पाकिस्तान बंद करेंगे मौलाना जबतक तहरीक-ए-इंसाफ और इमरान का पाकिस्तान की सत्ता से सफाया नहीं होगा।
रहमान ने खान पर इस्तीफे का दबाव बनाने के लिए पिछले सप्ताह इस्लामाबाद तक अपने समर्थकों के ‘आजादी मार्च’ का नेतृत्व किया था। उन्होंने खान को अवैध शासक बताया था। रहमान ने प्रधानमंत्री खान के पद छोड़ने के लिए रविवार तक की समयसीमा दी थी। रहमान का दावा है कि 2018 में हुए चुनाव में धांधली हुई थी और पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने खान को समर्थन दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनकी इस्तीफा देने की कोई योजना नहीं है। इस बीच सरकार ने राजधानी में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए है।
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