तेहरान: ईरान ने गुरुवार को कहा कि नई अमेरिकी पाबंदी विश्व शक्तियों के साथ उसके परमाणु करार का उल्लंघन है। इससे दूसरा कार्यकाल शुरू कर रहे राष्ट्रपति हसन रूहानी पर दबाव बढ़ गया है। मई में फिर से चुने गए रूहानी को देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई ने पद की शपथ दिलाई। रूहानी ने देश के अलग-थलग पड़े होने की अवस्था से निकालने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखने का संकल्प जताया।
ईरान के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ताजा पाबंदी लगाए जाने के 24 घंटे के भीतर ही यह शपथ समारोह हुआ। तेहरान ने कहा कि नया प्रावधान उसके परमाणु कार्यक्रमों पर रोक लगाने के बदले पाबंदी में ढील देने के लिए विश्व ताकतों के साथ 2015 के उसके समझौते का उल्लंघन करता है। ट्रंप ने लगातार इसे तोड़ने की धमकी दी है। उप विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सरकारी टेलीविजन पर कहा, ‘हमारा मानना है कि परमाणु समझाौते का उल्लंघन हुआ है और हम उचित तरीके से प्रतिक्रिया जताएंगे। हम निश्चित तौर पर अमेरिकी नीति और ट्रंप के जाल में नहीं आएंगे और हमारा जवाब बेहद सावधानीपूर्वक सोच समझकर होगा।’
पाबंदी की वजह से रूहानी के लिए कठिन घड़ी पैदा हो गई है जिन्होंने मुख्य रूप से पश्चिम के साथ संबंध सुधारने की अपनी कोशिशों को लेकर जीत हासिल की थी। शीर्ष राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में शपथ लेने वाले रूहानी ने कहा, ‘हम अलग-थलग रहना स्वीकार नहीं करेंगे। परमाणु समझौता अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान की सदभावना का संकेत है।’ वहीं, सख्त रुख अपनाते हुए खामनेई ने कहा कि ईरान को वॉशिंगटन के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
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