सिंगापुर: अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर को लेकर एक बार फिर बीजिंग पर हमला बोला है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि चीनी सेना दक्षिण चीन सागर में अपना विस्तार कर रही है और उसने विवादित समुद्री क्षेत्र में अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों की तैनाती धौंस और दादागिरी दिखाने के इरादे से किया गया है। मैटिस ने यह भी कहा कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखेगा। आपको बता दें कि पिछले कुछ महीनों में दक्षिण चीन सागर को लेकर पूरे इलाके में गतिरोध बढ़ गया है।
सिंगापुर में आयोजित उच्च स्तरीय सुरक्षा शिखर सम्मेलन में पेंटागन प्रमुख ने कहा कि अमेरिकी सेना कोरियाई प्रायद्वीप के ‘पूर्ण, प्रामाणिक योग्य और स्थाई’ परमाणु निरस्त्रीकरण के लिये राजनयिकों का समर्थन जारी रखेगी। दो सप्ताह बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच वार्ता होने की संभावना है। मैटिस ने दावा किया कि चीन ने समूचे दक्षिण चीन सागर में जहाज रोधी मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और इलेक्ट्रॉनिक जैमर सहित कई अन्य सैन्य साजो सामान तैनात किए हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन ने अत्याधुनिक सैन्य सुविधाओं से लैस कृत्रिम द्वीप और अन्य ढांचों का निर्माण किया है। चीन ने पारासेल द्वीप के जंगलों में भारी बमवर्षक भी तैनात किए हैं।
गौरतलब है कि मैटिस के इन दावों और सीधे चीन पर हमलावर होने की कोशिशों के बीच ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी उनकी अहम मुलाकात हुई है। अमेरिकी सेना में भारत की महत्ता के बड़े सांकेतिक कदम के तौर पर पेंटागन ने प्रशांत कमान का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कमान कर दिया था। इस बदलाव के कुछ दिनों बाद ही मैटिस और मोदी के बीच यह बेहद महत्वपूर्ण मुलाकात हुई है। सूत्रों ने बताया कि तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री मोदी ने बंद कमरे में मैटिस से मुलाकात की जिसमें दोनों पक्षों ने आपसी और वैश्विक हितों के सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की।
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