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Coronavirus पर तल्खी के बीच साथ आए अमेरिकी व चीनी वैज्ञानिक, खोज रहे Covid-19 का स्रोत

एक ओर जहां अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का मानना है कि कोविड-19 चीन के वूहान की एक लैब में पैदा हुआ, वहीं दूसरी ओर अमेरिका व चीन के वैज्ञानिक इस वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

US-Chinese scientists came together to find the source of Kovid-19- India TV Hindi US-Chinese scientists came together to find the source of Kovid-19

बीजिंग: एक ओर जहां अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का मानना है कि कोविड-19 चीन के वूहान की एक लैब में पैदा हुआ, वहीं दूसरी ओर अमेरिका व चीन के वैज्ञानिक इस वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में सेंटर फॉर इंफेक्शन एंड इम्युनिटी के निदेशक इयान लिपकिन व क्वांगचो के सन यात-सेन यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ स्कूल में प्रोफेसर लू च्याहाई के नेतृत्व में चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम साझा रूप से काम कर रही है। 

ये विशेषज्ञ इस बात का पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं कि क्या कोरोना वायरस दिसंबर महीने में चीन के वूहान में सामने आने से पहले अन्य हिस्सों में तो नहीं फैला था। लिपकिन, जिन्हें दुनिया के प्रमुख 'वायरस हंटर्स' में से एक के रूप में जाना जाता है, ने कहा कि उनके द्वारा किया जा रहा अध्ययन रोग नियंत्रण और रोकथाम (सीडीसी) के चीनी केंद्रों की मदद पर निर्भर है।

वायरोलॉजिस्ट लू च्याहाई ने कहा कि चीन सीडीसी वायरस की उत्पत्ति के बारे में अधिक से अधिक बातें सीखने में दिलचस्पी रखता है। उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी सीखते हैं उसे साझा करने में विश्वास रखते हैं। बकौल लू, वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए हम विभिन्न क्षेत्रों और विभागों में समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फरवरी महीने में अध्ययन शुरू हो गया था और इस साल के अंत तक इसका रिजल्ट सामने आएगा।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन के सीडीसी ने उन्हें देश भर के अस्पतालों और स्थानीय सीडीसी से जोड़ने में मदद की है, जिससे टीम दिसंबर में और इससे पहले भी देश भर से निमोनिया के मरीजों से लिए गए ब्लड बैंक के नमूनों तक पहुंच सकेगी। यह उनके रिसर्च का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके माध्यम से वे इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि क्या कोरोनोवायरस वूहान में सामने आने से पहले लोगों में मौजूद तो नहीं था।

इसके साथ ही चीन व अमेरिका की संयुक्त रिसर्च टीम विभिन्न जंगली जानवरों के रक्त के नमूनों का भी अध्ययन कर रही है। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश है कि कहीं ये तो वायरस के स्रोत नहीं थे। वहीं जानवरों से मानव में वायरस का ट्रांसमिशन कैसे हुआ, इसकी भी स्ट़डी की जा रही है। बता दें कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इयान लिपकिन एक अंतर्राष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे जिसने मार्च में नेचर मेडिसिन में वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक पेपर प्रकाशित किया था।

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