रामल्ला: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से मध्य पूर्व एशिया पर खास ध्यान दिया है। ईरान और फिलीस्तीन को लेकर उनके रुख के बारे में अब दुनिया जान चुकी है। इस बीच फिलीस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद इश्ताये ने अमेरिका पर फिलीस्तीन सरकार के खिलाफ आर्थिक और राजनीतिक युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है। रविवार को रामल्ला में जर्मनी के विदेशी मामलों के मंत्री नील्स एन्नेन से मुलाकात करने के बाद इश्ताये ने बयान जारी कर कहा कि फिलीस्तीन मूल रूप से इस्राइल-फिलीस्तीन विवाद को खत्म करने की अमेरिकी पहल को खारिज करता है।
आपको बता दें कि मध्य-पूर्व एशिया इन दिनों विभिन्न कारणों के चलते बेहद तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। वहीं, अमेरिका इस्राइल-फिलीस्तीन विवाद को सुलझाने के लिए 'डील ऑफ द सेंचुरी' नाम का शांति प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहा है। फिलीस्तीन प्रशासन और फिलीस्तीन के गुटों ने घोषणा की है कि वे इसे अस्वीकार करते हैं। इश्ताये ने कहा, ‘ट्रंप (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप) प्रशासन द्वारा अमेरिकी दूतावास को जेरूशलम स्थानांतरित करने और वॉशिंगटन में फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) का कार्यालय बंद करने के बाद हमने 'डील ऑफ द सेंचुरी' को अस्वीकार कर दिया है।’
उन्होंने कहा कि अमेरिका और इस्राइल मिलकर फिलिस्तीनियों तथा फिलिस्तीनी प्रशासन के खिलाफ आर्थिक युद्ध शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने मुख्य रूप से यूनाइटेड नेशंस एजेंसी फॉर फिलिस्तीनी रिफ्यूजीज (UNRWA) को दी जाने वाली वार्षिक राशि पर रोक लगा दी है। इस बीच इश्ताये ने घोषणा करते हुए कहा कि फिलिस्तीनी अमेरिका की अगुआई में बहरीन में होने वाली आर्थिक कार्यशाला को भी खारिज करते हैं। इस कार्यशाला का शीर्षक 'पीस ऑफ प्रॉस्पेरिटी' है। फिलीस्तीन प्रशासन ने वेस्ट बैंक में 25 और 26 जून को इस कार्यशाला के खिलाफ प्रदर्शन करने का आवाह्न किया है।
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