माउंट एवरेस्ट पर हुई मौतों पर बोली नेपाल सरकार, किसी पर्वतारोही की जान ‘ट्रैफिक जाम’ से नहीं गई
नेपाल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत ‘ट्रैफिक जाम’ की वजह से नहीं हुई है।
काठमांडू: नेपाल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत ‘ट्रैफिक जाम’ की वजह से नहीं हुई है। सरकार ने कहा कि ऐसा बेहद ऊंचाई पर होने वाली बीमारियां, दूसरे स्वास्थ्य कारण और प्रतिकूल मौसम के कारण हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने माउंट एवरेस्ट पर मृतकों का आंकड़ा 11 बताया है जो इसे 2015 के बाद सबसे खतरनाक बनाता है। नेपाल पर्यटन मंत्रालय ने हालांकि मरने वालों का आंकड़ा 8 ही दिया है जबकि एक पर्वतारोही लापता बताया गया है।
हिमालय की गोद में गई 8 भारतीयों की जान
पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक इस सीजन में हिमालय में कुल मिलाकर 16 पर्वतारोहियों की जान गई जबकि एक लापता है। इन 16 पर्वतारोहियों में से 4 भारतीय पर्वतारोहियों की मौत 8,848 मीटर की ऊंचाई वाले माउंट एवरेस्ट पर हुई जबकि माउंट कंचनजंघा और माउंट मकालू में भी दो-दो भारतीय पर्वतारोहियों की जान गई जिससे हिमालय में मरने वाले भारतीयों का आंकड़ा कुल 8 पहुंच गया। इस वसंत में सर्वोच्च चोटी को नापने का प्रयास करने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की थी। इस बार कुल 78 भारतीय पर्वतारोहियों को मंजूरी मिली थी।
‘भीड़भाड़ होने से नहीं गई हैं जानें’
पर्यटन विभाग के महानिदेशक डांडू राज घिमिरे ने कहा, ‘राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा माउंट एवरेस्ट पर मौतों को लेकर दी गई गलत जानकारी की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित किया गया है।’ उन्होंने कहा कि एवरेस्ट पर ‘ट्रैफिक जाम’ होने से जानें नहीं गईं। ‘भीड़भाड़’ तब होती है जब कई पर्वतारोहियों में एक ही समय में शिखर पर पहुंचने की होड़ रहती है और यह खास तौर पर 8000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर खतरनाक होता है जिसे ‘डेथ जोन’ के तौर पर जाना जाता है।
क्या कहती है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
विभाग का बयान ऐसे समय आया है जब पर्वतारोहियों की सुरक्षा की अनदेखी करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिये काफी ज्यादा परमिट जारी करने को लेकर उसकी तीखी आलोचना हो रही है। घिमिरे के मुताबिक मृत पर्वतारोहियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी मौत ऊंचाई से संबंधित बीमारियों, कमजोरी या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों की वजह से हुई।
इस साल जारी हुए थे 381 परमिट
विभाग ने बयान में कहा कि उसने 2017 में 366 परमिट जारी किए थे जबकि 2018 में 346 परमिट दिये गए थे। वहीं इस साल चढ़ाई के लिये 381 परमिट जारी किये गए थे जो तुलनात्मक रूप से काफी बड़ा अंतर नहीं है। बयान में कहा गया, ‘इसलिए, यह असत्य है कि माउंट एवरेस्ट पर भीड़भाड़ की वजह से पर्वतारोहियों की मौत हुई और हम सभी से अनुरोध करते हैं कि गलत जानकारी के बहकावे में न आएं।’