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भारत-पाकिस्तान संबंधों में आतंकवाद है ‘केंद्रीय मुद्दा’

इस्लामाबाद: भारत-पाक संबंधों को सामान्य होने से रोकने में आतंकवाद को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त ने कहा है कि भारत की नई सरकार सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध

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इस्लामाबाद: भारत-पाक संबंधों को सामान्य होने से रोकने में आतंकवाद को केंद्रीय मुद्दा बताते हुए पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त ने कहा है कि भारत की नई सरकार सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने की इच्छुक है।

उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने कहा कि आतंकवाद ऐसा केंद्रीय मुद्दा है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अवरोधक बना हुआ है। इतिहास एवं कूटनीति: भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में पर बोलते हुए उन्होंने कहा, पड़ोसी देशों के बीच संबंध हमेशा मुश्किल होते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध अपवाद नहीं हैं। उन्होंने कहा, नीति के शब्दों में कहें तो पसंद हमारी है।

राघवन ने कहा, लेकिन चीजें सुधर सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम भविष्य में किस तरह की नीतियां बनाते हैं। द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार ने पड़ोसी देशों को बहुत महत्व दिया है।

राघवन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्दी ही भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बांग्लादेश की यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भारत के नए प्रधानमंत्री के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया था और विदेश-सचिव स्तरीय वार्ताओं की बहाली के प्रयास किए गए थे। लेकिन वे वार्ताएं अवरूद्ध हो गईं।

भारत ने इन वार्ताओं की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान के दूत की कश्मीर के अलगाववादियों के साथ मुलाकात पर आपत्ति जताते हुए अगस्त में पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ताओं को रद्द कर दिया था।

राघवन ने कहा कि मौजूदा समय पर चर्चा करने के बजाय हम थोड़ा पीछे जाएंगे क्योंकि भारत-पाक संबंधों पर इतिहास का भारी बोझ है। उन्होंने कहा कि भारत-पाक संबंधों के कई कोण हैं और उन्होंने दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।

यहां पहला पहलू जम्मू-कश्मीर, जल अतिक्रमण, अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्यदूतों की भूमिका और नियंत्रण रेखा पर संघषर्विराम उल्लंघनों जैसे मुद्दों पर असहमतियों से जुड़ा था। दूसरे पहलू के तहत चर्चित संस्कृति, संगीत, सिनेमा और फैशन जैसी साझा चीजों पर जोर देने का विकल्प उपलब्ध करवाया गया।

उन्होंने सिंधु जल संधि के संबंध में चलने वाली विवादात्मक बातचीत के बावजूद इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि और कूटनीति की विजय करार दिया। उन्होंने कहा कि तकनीक ने उस परिदृश्य को बदल दिया है, जिसमें पहले कभी कूटनीति की जाती थी। लोग एक-दूसरे के बारे में कैसा सोचते हैं, इस दिशा में अब सरकारों की भूमिका बहुत कम हो गई है।

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