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Hindi News विदेश एशिया तालिबान के कंट्रोल में आया अफगानिस्तान का पूरा दक्षिणी हिस्सा, कब्जे में 4 और शहर

तालिबान के कंट्रोल में आया अफगानिस्तान का पूरा दक्षिणी हिस्सा, कब्जे में 4 और शहर

देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर, पश्चिम में हेरात और दक्षिण में कंधार पर नियंत्रण के बाद तालिबान ने हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया है।

<p>तालिबान ने शुक्रवार...- India TV Hindi Image Source : AP तालिबान ने शुक्रवार को 4 और प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा करते हुए देश के समूचे दक्षिणी भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।

काबुल: अफगानिस्तान में 2 दशक से जारी जंग से अमेरिकी और नाटो बलों की औपचारिक रूप से वापसी के महज कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने शुक्रवार को 4 और प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा करते हुए देश के समूचे दक्षिणी भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और धीरे-धीरे काबुल की तरफ बढ़ रहा है। पिछले 24 घंटे में देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर, पश्चिम में हेरात और दक्षिण में कंधार पर नियंत्रण के बाद तालिबान ने हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया है। लगभग 2 दशक के युद्ध के दौरान हेलमंद में सैकड़ों की संख्या में विदेशी सैनिक वहां मारे गए थे।

दो-तिहाई से ज्यादा इलाके पर तालिबान का कब्जा
दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान ने 34 प्रांतों में से आधे से ज्यादा की राजधानियों पर नियंत्रण बना लिया है। ऐसे में जब अमेरिका कुछ सप्ताह बाद अपने आखिरी सैनिकों को वापस बुलाने वाला है तालिबान ने देश के दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। तालिबान काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत में भी आगे बढ़ रहे हैं। उसने प्रांतीय राजधानी पुली-ए अलीम में पुलिस मुख्यालय और साथ ही पास की एक जेल पर कब्जा करने का दावा किया है। यह शहर काबुल से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
Image Source : APकाबुल अभी सीधे तौर पर खतरे में नहीं है, लेकिन अन्य जगहों पर नुकसान और लड़ाइयों ने तालिबान की पकड़ को और मजबूत कर दिया है।
30 दिनों के अंदर तालिबान के दबाल में आ सकता है काबुल
हालांकि काबुल अभी सीधे तौर पर खतरे में नहीं है, लेकिन अन्य जगहों पर नुकसान और लड़ाइयों ने तालिबान की पकड़ को और मजबूत कर दिया है। नवीनतम अमेरिकी सैन्य खुफिया आकलन से पता चलता है कि काबुल 30 दिनों के भीतर विद्रोहियों के दबाव में आ सकता है और अगर मौजूदा रुख जारी रहा तो तालिबान कुछ महीनों के भीतर देश पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकता है। यदि तालिबान यही गति बनाए रखता है तो अफगान सरकार को आने वाले दिनों में पीछे हटने और राजधानी और केवल कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

उरुजगान और जाबुल की राजधानियों पर भी तालिबान का कब्जा
चरमपंथी समूह ने दक्षिण में हेलमंद के अलावा उरुजगान और जाबुल प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। हेलमंद में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अताउल्लाह अफगान का कहना है कि तालिबान ने भारी लड़ाई के बाद प्रांतीय राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया और सरकारी प्रतिष्ठानों पर अपना सफेद झंडा फहरा दिया है। उन्होंने कहा कि लश्करगाह के बाहर स्थित राष्ट्रीय सेना के तीन ठिकाने सरकार के नियंत्रण में हैं। जाबुल प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अत्ता जान हकबायन ने कहा कि राजधानी कलात तालिबान के नियंत्रण में चली गई है और अधिकारी पास के एक सैन्य शिविर में हैं और वे वहां से निकलने की तैयारी कर रहे हैं।
Image Source : APहेलमंद में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अताउल्लाह अफगान का कहना है कि तालिबान ने भारी लड़ाई के बाद प्रांतीय राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया है।
‘तालिबान ने फ़िरोज़ कोह पर भी कब्जा कर लिया है’
अफगानिस्तान के दक्षिणी उरुजगन प्रांत के 2 जनप्रतिनिधियों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों ने प्रांतीय राजधानी तिरिन कोट को तेजी से आगे बढ़ रहे तालिबान के हवाले कर दिया है। बिस्मिल्लाह जान मोहम्मद और कुदरतुल्ला रहीमी ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की। पश्चिमी हिस्से में गोर प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख फ़ज़ल हक एहसन ने कहा कि तालिबान ने प्रांतीय राजधानी फ़िरोज़ कोह पर भी कब्जा कर लिया है। ऐसे में जब सुरक्षा स्थिति तेजी से बिगड़ रही है अमेरिका ने काबुल में अमेरिकी दूतावास से कुछ कर्मियों को निकालने में मदद करने के लिए 3,000 सैनिकों को भेजने की योजना बनाई है।

अपने घरों से भाग गए हैं हजारों अफगान नागरिक
वहीं ब्रिटेन ने कहा है कि देश छोड़ने वाले ब्रिटेन के नागरिकों की मदद करने के लिए लगभग 600 सैनिकों को अल्पकालिक आधार पर तैनात किया जाएगा। कनाडा भी अपने दूतावास को खाली करने में मदद करने के लिए विशेष बल भेज रहा है। तालिबान द्वारा फिर से एक क्रूर, दमनकारी सरकार स्थापित करने के भय के बीच हजारों अफगान नागरिक अपने घरों से भाग गए हैं। कतर में शांति वार्ता रुकी हुई है, हालांकि राजनयिक अभी भी मुलाकात कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोपीय और एशियाई देशों ने चेतावनी दी है कि बलपूर्वक स्थापित किसी भी सरकार को खारिज किया जाएगा।
Image Source : APतालिबान द्वारा फिर से एक क्रूर, दमनकारी सरकार स्थापित करने के भय के बीच हजारों अफगान नागरिक अपने घरों से भाग गए हैं।
‘हम एक एक राजनीतिक समाधान का आग्रह करते हैं’
वार्ता के लिए अमेरिकी दूत जलमय खलीलजाद ने कहा, ‘हम शहरों के खिलाफ हमलों को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हैं और एक राजनीतिक समाधान का आग्रह करते हैं।’ पश्चिमी गोर प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख फजल हक एहसन ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान प्रांतीय राजधानी फ़िरोज़ कोह में प्रवेश कर गया है और शहर के अंदर लड़ाई चल रही है। एक दिन पहले तालिबान ने काबुल के निकट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक और प्रांतीय राजधानी तथा देश के तीसरे सबसे बड़े शहर पर कब्जा कर लिया। हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है।

कई देशों ने अपने नागरिकों से अफगानिस्तान छोड़ने को कहा
वहीं, गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट चुका है। कंधार में भी तालिबान ने सरकारी इमारतों और गवर्नर के कार्यालय पर अपना झंडा लगा दिया है। डेनमार्क के विदेश मंत्री जेपे कोफोद ने कहा है कि काबुल में देश के दूतावास को अस्थायी तौर पर बंद किया जा रहा है और कर्मचारी वहां से निकाले जा रहे हैं। जर्मनी भी काबुल के दूतावास से अपने कर्मचारियों को ला रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने अफगानिस्तान में जर्मनी के सभी नागरिकों से तुरंत देश छोड़ देने को कहा है। (भाषा)

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