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तालिबान ने बताया ट्रंप की अफगान नीति को अस्पष्ट कहा, कुछ भी नया नहीं है

तालिबान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगान नीति को अस्पष्ट बताते हुए कहा है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है।

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काबुल: तालिबान ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगान नीति को अस्पष्ट बताते हुए कहा है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। ट्रंप द्वारा युद्ध प्रभावित देश में हजारों और अमेरिकी सैनिक भेजने का रास्ता साफ किए जाने पर तालिबान की ओर से यह बयान आया है। अफगानिस्तान में तालिबान के प्रवक्ता जैबिउल्ला मुजाहिद ने कहा, इस समय मैं आपको बता सकता हूं कि इस भाषण में कुछ भी नया नहीं था और यह बेहद अस्पष्ट था। उसने कहा कि जिहादी एक औपचारिक बयान तैयार कर रहे हैं, जिसे बाद में जारी किया जाएगा। सोमवार को कमांडर-इन-चीफ के तौर पर देश को दिए अपने पहले औपचारिक संबोधन में ट्रंप अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने के अपने वादे से पीछे हट गए। हालांकि उन्होंने इसपर विशेष जानकारी नहीं दी।

उन्होंने कहा कि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि त्वरित निकासी अस्वीकार्य और पूर्वानुमान लायक है। इससे एक ऐसा शून्य पैदा हो जाएगा, जिसे आतंकी तुरंत भर देंगे। तालिबान के एक वरिष्ठ कमांडर ने एएफपी को बताया कि ट्रंप जॉर्ज बुश जैसे पिछले राष्ट्रपतियों के अहंकारी बर्ताव को स्थायी ही बना रहे हैं। उसने कहा, वह अमेरिकी सैनिकों को बर्बाद कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हमारे देश की रक्षा कैसे करनी है। इससे कुछ नहीं बदलेगा। प्रवक्ता ने एक अग्यात स्थान से एएफपी को टेलीफोन पर बताया, हम कई पीढ़ियों से इस युद्ध को लड़ रहे हैं। हम डरे नहीं हैं। हम तैयार हैं और अपनी आखिरी सांस तक इस युद्ध को जारी रखेंगे।

उसने कहा कि बयान ने साबित कर दिया है कि मौजूदा अफगान सरकार अमेरिका के हाथ की कठपुतली है। ट्रंप के बयान के कुछ ही मिनट बाद आतंकियों ने अपने इरादों के भी संकेत दे दिए। आतंकियों ने दावा किया कि काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास को सोमवार रात रॉकेट हमले से निशाना बनाया गया। शहर के राजनयिक क्वार्टर के क्षेत्र में सोमवार को रॉकेट गिरा था। हालांकि इसके कारण किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली। ट्रंप ने सैनिकों की संख्या के बारे में विस्तार से बताने से मना कर दिया लेकिन व्हाइटहाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अपने रक्षामंत्री को 3900 तक और सैनिक तैनात करने का अधिकार दे दिया है।

वह अराजकता के एजेंटों को पनाहगाह उपलब्ध करवाने को लेकर पाकिस्तान पर भी बरसे। तालिबान के सहयोगी हक्कानी नेटवर्क के एक कमांडर ने एएफपी से कहा कि ट्रंप ने यह साबित कर दिया है कि यह एक धर्मयुद्ध है। लंबे समय से यह माना जाता है कि हक्कानी नेटवर्क का पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान से संबंध रहा है। कमांडर ने कहा, ट्रंप के बयान ने साबित किया है कि वह पूरे मुस्लिम समुदाय को मिटा देना चाहता है। ट्रंप की घोषणा से पहले तालिबान ने उन्हें चेतावनी देते हुए एक खुला खत लिखा था और चेतावनी दी थी कि वह अफगानिस्तान में और अधिक सैनिक न भेजें और यहां से विदेशी बलों को पूरी तरह हटा लें।

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