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Hindi News विदेश एशिया तालिबान ने हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला को किया नजरबंद, सुरक्षा भी हटाई

तालिबान ने हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला को किया नजरबंद, सुरक्षा भी हटाई

सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला पूरी तरह से तालिबान की दया पर निर्भर हैं।

Taliban house arrests Hamid Karzai, Taliban house arrests Abdullah Abdullah, Taliban- India TV Hindi Image Source : AP FILE एक फाइल फोटो में अब्दुल्ला अब्दुल्ला, अशरफ गनी और हामिद करजई। (बाएं से दाएं)

काबुल: तालिबान ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और राष्ट्रीय सुलह परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला को काबुल में नजरबंद कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने इन दोनों वरिष्ठ अफगान नेताओं की सुरक्षा भी हटा दी है। ये दोनों नेता तालिबान के साथ सरकार बनाने की बातचीत में शामिल थे। रूसी न्यूज एजेंसी स्पुतनिक ने CNN के हवाले से बताया है कि तालिबान ने इन दोनों नेताओं की कारें भी जब्त कर ली हैं। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने बुधवार को अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला के घर की तलाशी भी ली थी।

तालिबान की दया पर निर्भर हैं दोनों नेता
'राष्ट्रीय सुलह परिषद' के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की हथियारबंद सुरक्षा टीम के सभी हथियार और गाड़ियों को छीन लिया था। उन्होंने बताया कि तालिबान ने बाद में अब्दुल्ला अब्दुल्ला के घर पर भी छापेमारी की गई और उनकी सुरक्षा भी हटा दी गई। इसके साथ ही उनकी सभी गाड़ियों को भी जब्त कर लिया। अधिकारी ने बताया कि बाद में दोनों को उनके सुरक्षा गार्डों से अलग करके नजरबंद कर दिया गया। सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला पूरी तरह से तालिबान की दया पर निर्भर हैं।

तालिबान के फैसले पर खड़े हो रहे सवाल
बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन करने वाली अपनी 12 सदस्यीय परिषद में हामिद करजई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला समेत तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर को शामिल किया था। तालिबान ने 15 अगस्त तक राजधानी काबुल के साथ-साथ देश के लगभग सभी अन्य प्रांतों पर नियंत्रण कर लिया था और अब वह अफगानिस्तान में सरकार बनाने की प्रक्रिया में है। बता दें कि इन दोनों नेताओं की काफी समय से तालिबान से करीबी थी, ऐसे में उन्हें नजरबंद करने के तालिबान के फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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