नई दिल्ली: पंजशीर घाटी पर कब्जे के लिए तालिबान ने अमानवीय कृत्य करना शुरू कर दिये हैं। अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार में उप राष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि तालिबान ने पंजशीर के लोगों के लिए मोबाइल तथा बिजली सेवा रोक दी है और साथ में दवाओं तक की सप्लाई को भी अनुमति नहीं दी जा रही है। अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि तालिबान के लोग युद्ध अपराध कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकारों के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है।
अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के इस अपराध और आतंकी व्यव्हार के लिए वैश्विक नेताओं तथा संयुक्त राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किया है। तालिबान की वापसी पर राष्ट्रपति अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ने पर अमरुल्ला सालेह ने खुद को वहां का कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित किया हुआ है और फिलहाल वे पंजशीर घाटी में शरण लिए हुए हैं।
इस बीच बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में मुल्ला बरादर की अगुवाई में नई सरकार का गठन होगा। अरब न्यूज में प्रकाशित खबर के मुताबिक तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नई सरकार का गठन मुल्ला बरादर के नेतृत्व में होगा। सूत्रों के मुताबिक तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर महमूद अब्बास स्टेकजई इस सरकार में सीनियर पोजिशन संभालेंगे।
मुल्ला बरादर तालिबान का राजनीतिक प्रमुख है और उन 4 लोगों में से एक है, जिन्होंने 1994 में अफगानिस्तान में तालिबान का गठन किया था। काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के साथ ही तालिबान शासन के प्रमुख के तौर पर मुल्ला बरादर का नाम सबसे आगे चल रहा था। 1996 में जब अफगानिस्तान को तालिबान ने अपने कंट्रोल में लिया था उस वक्त मुल्ला बरादर को देश का उप रक्षामंत्री भी बनाया गया था।
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