अफगानिस्तान: सुरक्षाबलों पर तालिबान का घातक हमला, 40 सैनिकों की मौत
अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में देश के सुरक्षाबलों पर हुए तालिबान के हमलों में कम से कम 40 सैनिकों की मौत हो गई है...
कुंदुज: अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में देश के सुरक्षाबलों पर हुए तालिबान के हमलों में कम से कम 40 सैनिकों की मौत हो गई है। वहीं, विद्रोहियों के खिलाफ हवाई और जमीनी अभियान जारी है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद रादमनीश और अन्य अफगान सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि कुंदुज प्रांत के दास्त अर्शी जिला में आतंकवादी ‘नाइट विजन गॉगल्स’ का इस्तेमाल करते हुए कई अफगान सैन्य ठिकानों और चौकियों पर हमले कर रहे हैं। प्रवक्ता ने बताया, ‘हमें नुकसान पहुंचा है। तालिबान को भी नुकसान हुआ है।’ उन्होंने बताया कि अब तक 10 से 15 अफगान सैनिक मारे गए हैं और इतनी ही संख्या में घायल हुए हैं।
वहीं, एक अफगान सुरक्षा सूत्र ने बताया कि 40 से अधिक सैनिक मारे गए हैं। एक अन्य सूत्र ने 39 सैनिकों के मारे जाने और 10 सैनिकों के घायल होने की पुष्टि की है। प्रवक्ता ने कहा, ‘तालिबान के खिलाफ हवाई और जमीनी अभियान जारी है।’ ताकहर गवर्नर के प्रवक्ता सुनातुल्ला तिमोर ने बताया कि आज दोपहर कुंदुज और ताकहर प्रांत के बीच सीमा पर स्थित एक सैन्य ठिकाने पर हुए हमले में 29 सुरक्षा बल मारे गए, जबकि 17 अन्य घायल हो गए। उन्होंने बताया कि इलाके में अतिरिक्त बल अब तक नहीं पहुंचा है। तालिबान ने ट्विटर पर इन हमलों की जिम्मेदारी ली है।
तालिबान ने दावा किया है कि उसके लड़ाकों ने एक सैन्य ठिकाने और 11 चौकियों पर कब्जा कर लिया है तथा 65 सैनिकों और कई स्थानीय पुलिसकर्मियों को मार डाला है। एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा, ‘चूंकि हमारे पास ‘नाइट विजन गॉगल्स’ नहीं है इसलिए तालिबान, सैनिकों के काफी करीब पहुंच रहे हैं और उन्हें पता नहीं चल पा रहा है।’ रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि एक अन्य घटना के तहत अफगान बलों ने दक्षिणपूर्वी प्रांत गजनी में तालिबान के उच्च रैंक वाले सदस्यों के एक जमावड़े पर हवाई हमला किया है। इसमें 24 आतंकी मारे गए हैं और 17 अन्य घायल हुए हैं।
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि नावा जिले में की गई इस कार्रवाई में 1996-2001 के तालिबान शासन के दौरान मंत्री रहा मुल्ला अमीर खान मुताकी भी घायल हुआ है। ताजा हमले उस वक्त हुए हैं जब राष्ट्रपति अशरफ गनी ब्रसेल्स में नाटो के एक सम्मेलन में शरीक हुए हैं। अपने देश में 17 बरसों से जारी संघर्ष के लिए वहां उनके द्वारा व्यापक समर्थन जुटाए जाने की उम्मीद है।