ताइपे: चीन इन दिनों अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक ताइवान के इंजीनियरों को तमाम तरह से अपने पाले में करने में लगा हुआ है। पिछले कुछ सालों में ताइवान के 'चिप इंजीनियर्स' का एक बड़ा हिस्सा अब चीन के लिए काम करने लगा है। चीन ने इन इंजीनियर्स को 3 गुना तक सैलरी के अलावा अन्य कई सुविधाओं का प्रलोभन देकर ताइवान से 'छीन' लिया है। चीन के इस कदम ने ताइवान में सेमीकंडक्टर/चिप इंडस्ट्री के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं।
चुनौतियों से जूझ रहा है ताइवानी इंडस्ट्री
बता दें कि ताइवान को चीन अपना ही हिस्सा मानता है, और कुछ-कुछ ऐसा ही मामला हाल तक ताइवान के साथ रहा है। यही वजह है कि दोनों देश एक-दूसरे को लेकर आशंकित रहते हैं। इधर पिछले कुछ सालो से चीन की कंपनियां ताइवान के चिप इंजीनियर्स को एक बड़ी रकम देकर अपने पाले में करने में जुटी हैं। इसी का नतीजा है कि ताइवान के कुल 40 हजार सेमीकंडक्टर इंजीनियर्स में से 3 हजार आज चीनी कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं। इसके चलते अब ताइवान की कंपनियों के सामने संकट पैदा हो गया है।
आखिर ऐसा करके चाहता क्या है ड्रैगन?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है? दरअसल, ताइवान के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ऐसा करके ताइवान के इस फलते-फूलते उद्योग को बर्बाद करना चाहता है। सिर्फ चिप इंडस्ट्री ही नहीं, चीन की नजर ताइवान के टैलेंट के एक बड़े हिस्से पर है। चीन इन इंजीनियर्स को अपने यहां काम देकर दोनों देशों के एकीकरण के सपने को पूरा करना चाहता है। हालांकि अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह और भी कई तरीकों पर काम कर रहा है।
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