कोलंबो: श्रीलंका की खुफिया एजेंसी ने संभावित आतंकवादी हमलों के बारे में सूचना मिलने के बाद आने वाले कुछ सप्ताह के दौरान देश के शीर्ष नेतृत्व को एक साथ यात्रा नहीं करने की चेतावनी दी है। एक मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें सचेत रहने की सलाह दी गई है।
श्रीलंका के तीन गिरजाघरों और होटलों में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद द्वीपीय देश में सुरक्षा प्रबंधों को बढ़ाए जाने के तहत यह कदम उठाया गया है। इन विस्फोटों में 253 लोगों की मौत हुई थी और 500 अन्य घायल हुए थे। ‘डेली मिरर’ की एक रिपोर्ट के अनुसार नेताओं को कार्यक्रमों, विशेषकर गिरजाघरों, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों पर होने वाले आयोजनों में शामिल होने से बचने के लिए कहा है।
उन्हें सलाह दी गई है कि किसी भी स्थान पर जाने के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग करें जहां उनकी उपस्थिति अपरिहार्य है। इस बीच मेगापोलिस और पश्चिमी विकास मंत्री पाटली चंपिका रानवाका ने लंका सरकार को उन 800 विदेशी इस्लामिक मौलवियों को निर्वासित करने के लिए कहा है जो देशभर के विभिन्न मदरसों में धार्मिक शिक्षण में लगे हुए थे।
डेली मिरर ने मंत्री के हवाले से कहा, ‘‘मैं सरकार से उन्हें तुरन्त निर्वासित करने का आग्रह करता हूं।’’ इस्लामिक स्टेट ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी लेकिन सरकार ने इन हमलों के लिए स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात को जिम्मेदार ठहराया था। श्रीलंका की राजनीतिक पार्टियों और व्यापार संघों ने देश की सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर बुधवार को मई दिवस की रैलियों का आयोजन नहीं किया।
सभी पार्टियों और व्यापार संघों ने कहा कि मई दिवस की रैली का आयोजन करना कोलंबो में आत्मघाती हमलों के बाद एक चुनौती है। शिक्षा मंत्री और सत्तारूढ़ यूएनपी के महासचिव अकिला विराज करियावासम ने कहा, ‘‘हमने रैली नहीं करने का निर्णय लिया। इसके बजाय हम व्यापार संघ के सदस्यों से भवनों के भीतर मिलेंगे।’’
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