कोलंबो। श्रीलंका ने अपने यहां गहरा समुद्री क्षेत्र कंटेनर टर्मिनल विकसित करने के लिए मंगलवार को भारत और जापान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। तीनों देश संयुक्त रूप से कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल का निर्माण करेंगे। श्रीलंका में चीन के बढ़ते कदम को देखते हुए भारत चिंतित है। चीन ने एक रणनीतिक बंदरगाह को 99 साल के लिए पट्टे पर लिया है।
श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (एसएलपीए) ने कहा कि कोलंबो बंदरगाह के ट्रांसशिपमेंट कारोबार (बड़े जहाजों से छोटे जहाजों में माल का परिवहन) का करीब 70 प्रतिशत भारत से संबंधित है जबकि जापान 1980 से बंदरगाह कंटेनर टर्मिनल के निर्माण में सहयोग कर रहा है।
श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के पास ईस्ट कंटेनर टर्मिनल का 100 प्रतिशत स्वामित्व है। ईस्ट कंटेनर टर्मिनल के सभी परिचालनों का संचालन करने वाली कंपनी टर्मिनल ऑपरेशंस कंपनी (टीओसी) में श्रीलंका और अन्य की संयुक्त हिस्सेदारी है। श्रीलंका की इसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है और बाकी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी संयुक्त उद्यम साझेदारों के पास है।
प्राधिकरण ने कहा , " हिंद महासागर के केंद्र के रूप में , श्रीलंका का विकास और उसके बंदरगाहों का खुलना बहुत महत्व रखता है। कोलंबो बंदरगाह इस क्षेत्र का प्रमुख बंदरगाह है। यह संयुक्त परियोजना तीनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग और बेहतर संबंधों को दर्शाती है।"
चीन के बढ़ते प्रभाव को बेअसर करने के उद्देश्य से इस परियोजना में भारत और जापान की भागीदारी को एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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