कोलंबो: श्रीलंका ने शनिवार को चीन को दक्षिणी हंबनटोटा बंदरगाह किराए पर देने के 1.1 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है। इसमें विरोध प्रदर्शनों के कारण कई महीने की देरी हुई। हंबनटोटा बंदरगाह हिंद महासागर में चीन के 'वन बेल्ट वन रोड' पहल में प्रमुख भूमिका निभाएगा। यह चीन और यूरोप को सड़क और बंदरगाह के माध्यम से जोड़ेगा।
डेली मिरर की रिपोर्ट में कहा गया कि संशोधित समझौते पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के अधीन पोर्ट और शिपिंग मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाले श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) और चायना मर्चेन्ट्स पोर्ट होल्जिंग्स के बीच हस्ताक्षर किए गए। श्रीलंका की सरकार ने कहा कि इस समझौते से प्राप्त धन का प्रयोग विदेशी कर्ज को चुकाने में किया जाएगा। BBC की रिपोर्ट में कहा गया कि इस प्रस्ताव के तहत बंदरगाह और उसके पास की 15,000 एकड़ के औद्योगिक जोन को 99 सालों के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी को किराए पर दे दिया गया है।
इस योजना के तहत हजारों गांव वालों को उजाड़ा जाएगा, लेकिन सरकार का कहना है कि उन्हें नई जमीन दी जाएगी। इस सौदे का श्रीलंका में कई महीनों से विरोध किया जा रहा था, क्योंकि उन्हें डर था कि बंदरगाह का इस्तेमाल चीनी सेना कर सकती है। विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को कहा कि चीनी सेना इस बंदरगाह का इस्तेमाल नहीं करेगी।
Latest World News