कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे ने रविवार को न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि 2015 के राष्ट्रपति चुनाव में चीन ने उनके लिए पैसा खर्च किया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से श्रीलंका की राजनीति में तहलका मचा हुआ है। हालांकि, राजपक्षे उन चुनावों में हार गए थे और दोबारा अपने देश के राष्ट्रपति नहीं बन पाए थे। इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राजपक्षे ने कहा, ‘2015 में राष्ट्रपति पद के लिए मेरे चुनाव प्रचार में चीन का कोई योगदान नहीं था।’
यह दावा करते हुए कि उनसे संबद्ध लोगों और प्रचार सहयोगियों को धन मिला था और उन स्वयंसेवियों ने चेक टेम्पल ट्रीज को दिए थे, राजपक्षे ने एक बयान में कहा कि लेखक जनबूझकर इस बारे में अस्पष्ट रहा कि किसने यह धन दिया था और किसने यह धन लिया था। टेम्पल ट्रीज श्रीलंका के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास है जिसे हाल के कई राष्ट्रपतियों ने भी अपने आधिकारिक आवास के रूप में इस्तेमाल किया है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘यह कोई उत्तरदायित्व उठाए बिना बदनामी करने का तरीका प्रतीत होता है।’
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में पिछले सप्ताह कहा गया था कि राजपक्षे के प्रचार अभियान के लिए चीन की एक कंपनी की ओर से 76 लाख डॉलर दिए गए थे। राजपक्षे ने न्यूयॉर्क टाइम्स के इस दावे को भी खारिज किया कि चीन के साथ उनके संबंधों को लेकर भारत आशंकित था और भारत हंबनटोटा बंदरगाह को सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने के चीन के प्रयासों को लेकर भी आशंकित था। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने 2016 में एक किताब लिखी थी कि नई दिल्ली श्रीलंकाई रक्षा सचिव के रूप में उनके भाई गोताभया राजपक्षे द्वारा दिए गए सुरक्षा आश्वासन को लेकर सकारात्मक है।
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