स्योल: उत्तर कोरिया के खिलाफ एक साथ लामबंद रहने वाले दक्षिण कोरिया और जापान के बीच कुछ विवादित द्वीपों के लेकर ठन गई है। इन द्वीपों को जापान के स्कूली कोर्स में शामिल किया गया है और इन्हें जापानी द्वीप बताया गया है। जापान में इन्हीं नए शैक्षणिक दिशानिर्देशों के प्रति विरोध प्रकट करने के लिए दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को तोक्यो के राजदूत को तलब किया। इन नए दिशानिर्देश के अनुसार हाई स्कूल के छात्रों को यह पढ़ाना आवश्यक है कि विवादित क्षेत्र जापान के हैं।
वर्ष 1945 से जापान सागर (पूर्वी सागर) में स्थित द्वीपों पर दक्षिण कोरिया का नियंत्रण रहा है। उसी साल प्रायद्वीप पर जापान का क्रूर औपनिवेशिक शासन खात्म हुआ था। जापान भी इन द्वीपों पर दावा जताता रहा है। दक्षिण कोरिया में इन द्वीपों को डोकडो और जापान में ताकेशिमा के नाम से जाना जाता है। जापान दक्षिण कोरिया पर आरोप लगाता रहा है कि उसने इन द्वीपों पर अवैध रूप से कब्जा किया है। जापान एवं दक्षिण कोरिया दोनों बाजार आधारित अर्थव्यवस्थाएं हैं, दोनों जगह लोकतंत्र है और दोनों ही अमेरिका के सहयोगी देश हैं। इन दोनों देशों को परमाणु हथियार सम्पन्न उत्तर कोरिया से खतरा है। लेकिन इतिहास से जुड़े कारणों और सीमा विवाद के चलते इनके रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं।
जापान ने शुक्रवार को उन दिशानिर्देशों को स्वीकृति दी जिनमें हाई स्कूल की किताबों में एवं शिक्षकों के लिए छात्रों को इन द्वीपों को जापान का हिस्सा बताना आवश्यक बनाया गया है। ये दिशानिर्देश मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद हैं। इसके अनुसार, ‘स्कूलों को देश के क्षेत्रों से संबद्ध मुद्दों को शामिल करना चाहिए जैसे कि हमारे देश के अपने क्षेत्र ताकेशिमा द्वीप एवं उत्तरी क्षेत्र।’ दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि यह उल्लेख ‘अनुचित’ है। डोकडो दक्षिण कोरियाई क्षेत्र का ऐसा हिस्सा रहा है जिसे कभी अलग नहीं किया जा सकता। वक्तव्य के अनुसार, ‘हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसे तुरंत हटाने की मांग करते हैं। जापान भविष्य की पीढ़ी के मन में डोकडो के बारे में गलत ऐतिहासिक धारणा बनाने की कोशिश कर रहा है।’
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