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दक्षिण कोरिया: भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे को 24 साल की जेल

दक्षिण कोरिया की पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे को स्योल की एक अदालत ने शुक्रवार को व्यापक भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोपों में दोषी ठहराते हुए 24 साल कैद की सजा सुनाई है...

South Korea: Ex-President Park Geun-hye jailed for 24 years over corruption | AP Photo- India TV Hindi South Korea: Ex-President Park Geun-hye jailed for 24 years over corruption | AP Photo

स्योल: दक्षिण कोरिया की पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे को स्योल की एक अदालत ने शुक्रवार को व्यापक भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोपों में दोषी ठहराते हुए 24 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर 18 अरब वॉन का जुर्माना भी लगाया गया है। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ही 2017 में उन्हें अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत की सुनवाई का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया। सुनवाई के दौरान स्योल के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा 66 वर्षीया पूर्व राष्ट्रपति को दोषी ठहराया गया। करीब एक साल पहले मार्च 2017 में उनको गिरफ्तार किया गया था। पार्क को रिश्वतखोरी, उत्पीड़न और सत्ता के दुरुपयोग समेत भ्रष्टाचार के 16 मामलों में अभियुक्त ठहराया गया।

जज ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने जनता द्वारा दी गई शक्ति का दुरुपयोग किया, इसलिए उनको सख्त सजा की जरूरत है, ताकि देश के भावी नेताओं को कड़ा संदेश मिले।’ अभियोजकों ने पार्क के लिए 30 साल की सजा की मांग की थी। अदालत के बाहर लगे बड़े परदे पर मामले में फैसले को देखने के लिए पार्क के सैकड़ों समर्थक इकट्ठा थे। वे कोरिया और अमेरिका के झंडे लहराते हुए पार्क को मुक्त करने की मांग कर रहे थे। पार्क वर्ष 2013 में दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। वह पहली निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष थीं, जिन्हें पद से बेदखल कर दिया गया। इसके अलावा वह तीसरी दक्षिण कोरियाई नेता हैं, जिनको भ्रष्टाचार के मामले में अभियुक्त करार दिया गया है।

घोटाले के कारण पार्क पर संसद में दिसंबर 2016 में महाभियोग चलाया गया और उन्हें औपचारिक तौर पर 10 मार्च, 2017 को संवैधानिक पद से हटाया गया। पार्क शुक्रवार को सजा तय करने के लिए की गई सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नहीं थीं। पार्क ने अक्टूबर में 6 महीने कैद की अवधि में विस्तार किए जाने के आदेश का विरोध करते हुए अदालती सुनवाई का बहिष्कार किया था। उन पर अपनी पुरानी मित्र व विश्वासपात्र चोई सून-सिल की मिलीभगत से राजनीतिक पक्षपात के बदले में कारोबारियों पर रिश्वत देने के लिए दबाव डालने का आरोप था।

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