काबुल: अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख एवं हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए अवतार सिंह खालसा आशा की एक नई किरण बनकर उभरे हैं। अगली संसद में वह अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करेंगे। खालसा लंबे समय से समुदाय के नेता हैं और संसद के निचले सदन में वह उस सीट पर निर्विरोध चुने जाएंगे जिसे 2016 में राष्ट्रपति के आदेश के बाद अल्पसंख्यों के लिए आरक्षित किया गया था। अक्टूबर 2018 में चुनाव के बाद वह 259 सांसदों के बीच अल्पसंख्यकों की एकमात्र आवाज होंगे। अफगानिस्तान में 1970 के दशक में लगभग 80,000 सिख थे, जिनकी संख्या अब घटकर 1,000 के आसपास रह गई है।
खास बात यह है कि उन्होंने अफगानिस्तान की सेना में भी 10 साल नौकरी की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अफगानिस्तान की सेना में 10 साल की सेवा उन्हें रक्षा एवं सुरक्षा समिति में स्थान दिला सकती है। उन्होंने काबुल में एक मंदिर के बाहर कहा,‘मैं केवल अपने सिख और हिंदू भाइयों की सेवा नहीं करना चाहता, बल्कि मुझे सभी अफगान लोगों की सेवा करने के काबिल बनना है, भले ही वे किसी भी जाति अथवा समुदाय के हों। हमारी सेवांए सभी तक पहुंचनी चाहिए।’
4 बच्चों के पिता खालसा मूलत: पाक्तियां प्रांत से हैं, लेकिन अपनी जिंदगी का लंबा हिस्सा उन्होंने काबुल में गुजारा है। वह संसद के उच्च सदन में भी अल्पसंख्यों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मुस्लिम देश अफगानिस्तान में हिंदू और सिख भेदभाव के शिकार हैं और कट्टरपंथी उन्हें निशाना बनाते रहते हैं। खालसा ने कहा, ‘हमें अपने लोगों को इस अराजकता से बचाने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने अधिकारों की मांग करनी चाहिए। आपके अधिकार आपको दिए नहीं जाएंगे, आपको उन्हें लेना होगा।’
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