कॉक्स बाजार: म्यांमार के पश्चिमी राखिन प्रांत में हिंसा प्रभावित रोहिंग्या मुस्लिमों के विस्थापित होने के बीच म्यांमार की सेना पर बारूदी सुरंग बिछाने का आरोप लगाया गया है। इस बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रविवार को 2 लोगों के घायल होने की बात कही। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें बांग्लादेश की सीमा पर बारूदी सुरंगों या अन्य विस्फोटकों से लोगों के घायल होने का पता चला है। बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी जानकारी में भी ऐसे मामले आए हैं।
बीते दो सप्ताह में रोहिंग्या समुदाय के करीब तीन लाख लोग विस्थापित होकर बांग्लादेश आए हैं। बांग्लादेश में सीमा पर एक बुजुर्ग महिला को पैर की गंभीर चोट के साथ देखा गया जो संभवत: किसी विस्फोट के कारण घायल हुई थी। रिश्तेदारों का कहना है कि उसने बारूदी सुरंग पर पैर रख दिया था। अन्य भी इसी तरह के विस्फोट से घायल मिले। एमनेस्टी के अनुसार, म्यांमार उत्तर कोरिया और सीरिया सहित उन कुछ सेनाओं वाले देशों में शामिल है जिन्होंने हाल के वर्षों में खुलेआम बारूदी सुरंगों का प्रयोग किया है। म्यांमार की सेना पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने रोहिंग्या मुसलमानों के बांग्लादेश भागने के रास्ते पर बारूदी सुरंगे बिछाई हैं।
गौरतलब है कि 25 अगस्त को रोहिंग्या चरमपंथियों ने म्यांमार की सीमा चौकियों पर समन्वित हमले शुरू किए थे जिसके बाद म्यांमार की सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की थी। कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई के दौरान म्यांमार की सेना ने कई रोहिंग्या मुसलमानों को मार दिया और उनके घर जला दिए। वहीं, म्यांमार की नेता आंग सान सू की ने सोमवार को रोहिंग्या लड़ाकों पर संकटग्रस्त राखिन प्रांत में हालिया हिंसा के दौरान घरों को जलाने और बाल सैनिकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। हालांकि रविवार को रोहिंग्या चरमपंथियों ने संघर्ष विराम का ऐलान भी कर दिया है।
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