यंगून: रोहिंग्या विद्रोहियों ने रविवार को दावा किया कि उन्होंने म्यांमार के उत्तरी रखाइन प्रांत में सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया जिसमें कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। रोहिंग्या विद्रोहियों की इस ताजा कार्रवाई के बाद 6,50,000 रोहिंग्या मुसलमानों की म्यांमार वापसी की योजना खटाई में पड़ सकती है। आपको बता दें कि पिछले साल अगस्त में विद्रोहियों के कई हमले के बाद रखाइन अशांत हो गया था, जिसके जवाब में सेना ने बहुत क्रूर कार्रवाई की थी। सेना की इस कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि म्यांमा की सेना रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों का जातीय सफाया कर देना चाहती है।
पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा सेना पर किए गए हमले के बाद शुरू हुए सेना के अभियान के कारण 6,50,000 रोहिंग्या बांग्लादेश पलायन कर गये थे। बांग्लादेश अब चाहता है कि बीते अगस्त के बाद से म्यांमार से आये 6,55,000 से अधिक शरणार्थी दोनों देशों के बीच हुए विवादित समझौते के तहत इस महीने के अंत तक अपने देश लौटना शुरू कर दें। बहरहाल म्यांमार की सेना ने ऐसे किसी अनुचित बर्ताव से इनकार किया है और इस बात पर जोर दिया कि यह कार्रवाई ‘आतंकवादी’ खतरे को खत्म करने के लिये जवाबी कार्रवाई है।
अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) के नाम से चर्चित इन विद्रोहियों ने हालिया महीनों में कई हमले किए हैं। इनमें से सबसे बड़ा हमला पिछले साल अगस्त में किया गया था, जिसके बाद सेना ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था और क्षेत्र में अशांति पैदा हो गई थी। सेना की रिपोर्ट के अनुसार करीब 10 रोहिंग्या विद्रोहियों ने शुक्रवार सुबह बारूदी सुरंग से एक कार पर घात लगाकर हमला किया था और उसपर गोलीबारी की, जिसमें दो अधिकारी एवं उनका ड्राइवर घायल हो गए। रविवार को विद्रोहियों ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट कर इस हमले की जिम्मेदारी ली।
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