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Hindi News विदेश एशिया स्टडी में सामने आई बड़ी बात, सिर्फ एक खुराक में ही असर दिखाती है फाइजर की कोरोना वैक्सीन

स्टडी में सामने आई बड़ी बात, सिर्फ एक खुराक में ही असर दिखाती है फाइजर की कोरोना वैक्सीन

फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19  की केवल एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है जो पूर्व में इस महामारी से संक्रमित हुए थे।

Pfizer, Pfizer Coronavirus Vaccines, Coronavirus Vaccines, Pfizer Vaccines- India TV Hindi Image Source : AP REPRESENTATIONAL स्टडी में कहा गया है कि फाइजर की एक खुराक से ही लोगों में इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है।

जेरूसलम: फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19  की केवल एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है जो पूर्व में इस महामारी से संक्रमित हुए थे। एक स्टडी के मुताबिक, Pfizer Coronavirus Vaccine की एक खुराक से ही लोगों में इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कब संक्रमित हुए थे या निवारक उपाय करने से पहले वायरस के खिलाफ उनमें एंटीबॉडी बनी थी या नहीं। इस्राइल में बार-इलान यूनिवर्सिटी और जिव मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि कोविड-19 टीके के संबंध में दुनिया में वास्तविक साक्ष्य अभी भी काफी कम हैं, भले ही क्लीनिकल परीक्षण डाटा उत्साहजनक हैं।

स्टडी में शामिल किए गए थे 514 लोग
रिसर्चर्स ने कहा कि विशेष रूप से, सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित लोगों में कोविड-19 टीके का असर अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आया है। ‘जर्नल यूरोसर्विलांस’ में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में जिव मेडिकल सेंटर में 514 कर्मियों के एक समूह को शामिल किया गया था। टीके की पहली खुराक लेने से पहले 17 प्रतिभागी एक और 10 महीने के बीच किसी समय कोविड-19 से संक्रमित हुए थे। पूरे समूह के एंटीबॉडी स्तर को टीकाकरण से पहले मापा गया था और उसके बाद अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी की उसकी सहयोगी बायोएनटेक द्वारा विकसित BNT162B2 एमआरएनए टीके के असर को देखा गया।

क्या टीके की एक खुराक पर्याप्त है? चर्चा शुरू
शोधकर्ताओं ने कहा कि टीके का असर उन लोगों में काफी प्रभावशाली था जो पहले इस महामारी से संक्रमित हुए थे। इससे इस संबंध में चर्चा शुरू हो गई कि क्या टीके की एक खुराक पर्याप्त हो सकती है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले बार-इलान यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर माइकल एडेलस्टीन ने कहा, ‘इस अध्ययन से देशों को टीका नीति के बारे में निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, क्या पहले से संक्रमित लोगों को प्राथमिकता में टीका लगाया जाना चाहिए और यदि हां, तो उन्हें कितनी खुराक देनी चाहिए।’ शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमित होने और टीकाकरण के बीच अवधि की परवाह किये बगैर संक्रमित लोगों में टीके की एक खुराक का ही प्रभावी असर दिखना एक अच्छी खबर है।

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