इस्लामाबाद: आतंकियों के खिलाफ चलाए जाने वाले मुकदमों की कार्यवाही को तेज करने के लिए पाकिस्तानी राजनीतिक दल आज सैद्धांतिक तौर पर विवादित सैन्य अदालतों को अगले दो साल के लिए दोबारा शुरू करने पर सहमत हो गए। हाल ही में हुए आत्मघाती हमलों में 125 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद राजनीतिक दलों में यह सहमति बनी है।
न्य अदालतों का गठन जनवरी 2015 में दो साल के कार्यकाल के लिए हुआ था। इनका गठन दिसंबर 2014 में पेशावर स्थित एक सैन्य स्कूल पर हुए आतंकी हमले के बाद एक संवैधानिक संशोधन से हुआ था। दिसंबर 2014 के हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर छात्र थे। इन अदालतों की अवधि पिछले माह खत्म हो गई थी। सरकार सैन्य अदालतों को एक और कार्यकाल के लिए लेकर आने के लिए राजनीतिक दलों को एकसाथ लाने की कोशिश करती रही है।
बड़े राजनीतिक दलों के सांसदों ने इस्लामाबाद में मुलाकात की और वे सैन्य अदालतों का कार्यकाल दो साल बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन की बात पर सहमत हो गए। वित्त मंत्री इजहाक डार और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता शाह महमूद कुरैशी ने मीडिया को इस फैसले के बारे में सूचित किया। हालांकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को इस संदर्भ में कुछ चिंताएं हैं और उसने आम सहमति बनाने के लिए चार मार्च को सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया है।
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