लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत में लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक करने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई है। इस स्थान पर 86 वर्ष पहले शहीद-ए-आजम को फांसी दी गई थी। भगत सिंह और उनके 2 साथियों राजगुरु एवं सुखदेव को ब्रिटिश शासकों ने 23 मार्च, 1931 को तत्कालीन लाहौर जेल में फांसी की सजा दी थी। इसी स्थान पर बाद में इस चौक का निर्माण किया गया था।
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी की याचिका पर लाहौर हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत को यह सूचित किया गया कि उसके पास पहले से इस तरह की याचिका लंबित है। जस्टिस शाहिद जमील खान ने दोनों याचिकाओं को एक में मिलाने का निर्देश दिया। उन्होंने अगली सुनवाई के लिए 5 मार्च की तारीख मुकर्रर की। याचिकाकर्ता ने कहा है कि भगत सिंह इस उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने आजादी के लिए अपने साथियों के साथ अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि पाकिस्तान के संस्थापक कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने भी यह कहते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी, ‘इस उपमहाद्वीप में भगत सिंह जैसा बहादुर व्यक्ति नहीं हुआ।’ उन्होंने कहा कि भगत सिंह के नाम पर शादमान चौक का नाम रखना और वहां उनकी प्रतिमा लगाना न्याय के हित में होगा क्योंकि पाकिस्तान और दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया जा सके। अपनी याचिका में कुरैशी ने दलील दी है कि भारत में अकबर, शाहजहां और बहादुर शाह जफर जैसे मुस्लिम शासकों के नाम पर कई सड़के हैं।
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