इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयप एर्दोआन के इस सुझाव का स्वागत किया है कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए एक बहुपक्षीय वार्ता आयोजित की जानी चाहिए। यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसे भारत वस्तुत: खारिज कर चुका है। एर्दोआन ने अपनी भारत यात्रा से पहले एक टीवी साक्षात्कार में कहा था, हमें कश्मीर में अब और अधिक मौतें नहीं होने देनी चाहिए। ऐसी बहुपक्षीय वार्ता के जरिए, जिसमें हम शामिल हो सकते हैं, हम इस मुद्दे को हमेशा-हमेशा के लिए सुलझा देने के रास्ते तलाश सकते हैं। (चीन: कम्यनुस्टि पार्टी के अधिकारी पहुंचा रहे हैं दलाई लामा को आर्थिक मदद)
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कल रात एक बयान में कहा, पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने के लिए पक्षकारों के बीच वार्ता प्रक्रिया को मजबूत करने के तुर्की के राष्ट्रपति के प्रस्ताव का स्वागत करता है। एर्दोआन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक कश्मीर के मुद्दे पर एर्दोआन की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में हुई है और इन टिप्पणियों को भारत में पसंद नहीं किया गया। ये टिप्पणियां भारत के रूख के विपरीत थीं। भारत का कहना है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का कोई स्थान नहीं है।
एर्दोआन को दिए स्पष्ट संदेश में कल भारत ने कह कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का एक द्विपक्षीय मुद्दा है। निश्चित तौर पर यह सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के कारण है। उधर, पाकिस्तान ने एर्दोआन की टिप्पणियों का स्वागत करते हुए कहा, पाकिस्तान ने हमेशा से कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दों और जम्मू-कश्मीर मुद्दे को सुलझाने से जुड़े बयानों एवं प्रयासों का स्वागत किया है।
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