इस्लामाबाद: पाकिस्तान फरवरी 2021 तक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ‘ग्रे’ लिस्ट में बना रहेगा क्योंकि वह ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग को रोकने के लिए 6 कार्ययोजनाओं को पूरा करने में विफल रहा है। हालांकि इस बीच जो चीज पाकिस्तान और इसके प्रधानमंत्री इमरान खान को सबसे ज्यादा खटक रही होगी, वह इसके खास दोस्तों चीन और सऊदी अरब द्वारा FATF में उसका साथ न देना है। इस मामले में FATF में शामिल 39 देशों में सिर्फ तुर्की ही उसके साथ रहा, क्योंकि ये दोनों देश मिलकर एक कट्टर इस्लामिक मोर्चा बनाना चाहते हैं।
पाकिस्तान को मिला सिर्फ तुर्की का समर्थन
बता दें कि एफएटीएफ की मुख्य बैठक के पहले हुई इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यू ग्रुप की बैठक में तुर्की, चीन और सऊदी अरब ने तकीनीकी आधार पर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के बारे में कहा था। हालांकि जब बाद में एफएटीएफ की बैठक हुई, तो चीन और सऊदी अरब ने इमरान खान से किनारा कर लिया और पाकिस्तान को सिर्फ तुर्की का समर्थन मिला। बता दें कि हाल ही में सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी। यहां तक कि सऊदी अरब ने गंभीर आर्थिक हालात से जूझ रहे पाकिस्तान से कर्ज में दिए पैसे वापस मांग लिए थे, जिसे उसने चीन से कर्ज लेकर चुकाया था।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में FATF अध्यक्ष ने क्या कहा?
बता दें कि FATF के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने पेरिस से एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘पाकिस्तान निगरानी सूची या ग्रे सूची में बना रहेगा।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाओं में से 6 को पूरा करने में अब तक विफल रहा है और इसके चलते यह देश FATF की ग्रे सूची में बना रहेगा। पाकिस्तान ने जिन 6 कार्यों को पूरा नहीं किया है उनमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल होना भी शामिल हैं। ये दोनों आतंकवादी भारत में मोस्ट वॉन्टेड हैं।
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