इस्लामाबाद: पाकिस्तान में जल्द ही ‘आतंकवाद’ शब्द की परिभाषा तय की जाएगी। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने बुधवार को यह फैसला लिया। उन्होंने ‘आतंकवाद’ को परिभाषित करने और इसके दायरे में आने वाले मामलों का निर्धारण करने लिए सात न्यायाधीशों पीठ गठित की है।
पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों पर लगाम लगाने के लिए बढ़ते दबावों के बीच पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने यह फैसला किया। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गये थे। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी जैश ने ही ली थी। पाकिस्तानी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि 1997 से यह निर्धारित नहीं किया गया कि किस तरह के मामले आतंकवाद के दायरे में आएंगे।
‘डॉन’ अखबार के अनुसार न्यायमूर्ति खोसा के नेतृत्व में सात सदस्यीय पीठ आतंकवाद की सही परिभाषा निर्धारित और तय करेगी। आतंकवाद की परिभाषा को लेकर उस समय विचार हुआ था जब न्यायालय ‘सिबतैन बनाम राज्य’ और ‘फजल बशीर बनाम राज्य’ मामलों की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। दोनों मामलों में आरोपियों को आतंकवाद निरोधी अधिनियम की धारा सात के तहत आरोपित किया गया था जो आतंकी कृत्य के लिये सजा से संबंधित है। पाकिस्तान में कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार ‘आतंकवाद’ शब्द की कोई सटीक और व्यापक रूप से स्वीकार्य परिभाषा नही है।
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