इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने देश में शरीयत कानून लागू करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। यह याचिका एक चरमपंथी धर्मगुरू द्वारा दी गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने 2015 में पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद184 (3) के तहत अपने वकील तारिक असद की मार्फत एक याचिका दायर की थी। आपको बता दें कि मौलाना अब्दुल अजीज पाकिस्तान की सियासत में एक चर्चित शख्सियत रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय ने इस याचिका को विचार योग्य नहीं पाते हुए 2016 के फरवरी में याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद मौलाना अब्दुल अजीज ने उसे चुनौती दी थी। एक अधिकारी ने बताया, ‘चीफ जस्टिस ने रजिस्ट्रार कार्यालय के एतराज को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।’ याचिकाकर्ता का कहना था कि पाकिस्तान जिन खराबियों से दो-चार है, उसका हल शरीयत करता है। उसने अदालत से कहा कि वह इस्लामी कानून लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए प्रतिवादियों से कहे।
अजीज उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 2007 में लाल मस्जिद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान बुरका पहन कर मस्जिद से भागने की कोशिश की थी। हालांकि वह भाग नहीं पाए थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद उनके ऊपर तमाम मामले दर्ज किए गए लेकिन उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। इसके अलावा उन्हें मस्जिद वापस लौटने और धर्मोपदेश देने की इजाजत दे दी गई थी। उस सैन्य कार्रवाई में मौलाना के छोटे भाई समेत 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
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