पंजशीर के खिलाफ तालिबान की मदद कर पाकिस्तान ने दिखाई अपनी आतंकपरस्ती
गौरतलब है कि पंजशीर अफगानिस्तान का सबसे छोटा सूबा है लेकिन अब तक वो तालिबान के आगे नहीं झुका था। बात सिर्फ इस बार की नहीं है पिछले तालिबान के शासन में भी पंजशीर आजाद रहा था।
नई दिल्ली: आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान लगातार घिरता जा रहा है। खुद अपने देश में तो आतंकियों को पालता ही है दूसरे देश के आतंकियों को भी सहयोग देने से पीछे नहीं हटता। ताजा वाकया अफगानिस्तान का है जहां तालिबान ने भयंकर तबाही मचा रखी है। पंजशीर को छोड़कर अफगानिस्तान के बाकी हर एक हिस्से पर कब्जा जमा चुके तालिबान ने ऐलान किया है कि उसने पंजशीर पर भी कब्जा जमा लिया है लेकिन पंजशीर में तालिबान का विरोध कर रही सेनाओं का नेतृत्व करने वाले नेता अहमद मसूद ने एक ऑडियो मैसेज के जरिए बताया है कि तालिबान के साथ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि पंजशीर में उन्हें अकेले तालिबान का सामना नहीं करना पड़ रहा है बल्कि तालिबान के साथ पाकिस्तान भी उनसे जंग लड़ रहा है।
अहमद मसूद के इस बयान से पाकिस्तान की आतंकपरस्ती पूरी तरह से उजागर होती है लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है कि जब आतंकियों के साथ पाकिस्तान का नाम जुड़ा हो। इससे पहले भी कई बार आतंकियों को सह देने और उनका बचाव करने के मामले में पाकिस्तान अतर्राष्ट्रीय स्तर पर घिर चुका है। बात पंजशीर की करें तो जो खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक पंजशीर पर तालिबान ने करीब करीब फतह पा ली है क्योंकि इस लड़ाई में तालिबान के खिलाफ मजबूती से खड़े अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह साले के ताजिकिस्तान में शरण लेने की बातें कही जा रही है और वहीं दूसरे सबसे बड़े चेहरे अहमद मसूद के भी पंजशीर में किसी सुरक्षित ठिकाने में जाकर छिप जाने की खबरे आई है।
जहां एक तरफ तालिबान अपने मंसूबे को अंजाम देते हुए आगे बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ काबुल में पाकिस्तान के खिलाफ भी प्रदर्शन तेज हो चले हैं क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी मंसूबे लोगों के सामने जाहिर हो चुके हैं। पंजशीर पर हमले में जिस तरह पाकिस्तान ने तालिबान का साथ दिया उससे आम लोग गुस्से में हैं। गुस्सा इस कदर कि लोग तालिबान की परवाह न करके सड़कों पर पाकिस्तान के खिलाफ उतर आए हैं। सैंकड़ों की भीड़ काबुल की सड़कों पर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रही है।
पंजशीरियों की हत्या बंद करो के नारों से काबुल का आसमान गूंज उठा है। इन लोगों को ना तो तालिबानी आतंकियों के गोलियों की परवाह है और ना ही जेल में डाले जाने का डर। इनका गुस्सा तो पाकिस्तान के खिलाफ है जो अफगानिस्तान को अपने इशारों पर नचाने की साजिश रच रहा है। अपनी आतंकी सोंच को धरातल पर लाने की भरपूर कोशिश कर रहा है और इसी वजह से आम अफगान लोग अफगानिस्तान में पाकिस्तानी दखलंदाजी से गुस्से में हैं।
गौरतलब है कि पंजशीर अफगानिस्तान का सबसे छोटा सूबा है लेकिन अब तक वो तालिबान के आगे नहीं झुका था। बात सिर्फ इस बार की नहीं है पिछले तालिबान के शासन में भी पंजशीर आजाद रहा था। उसके पहले 1980 के दशक में सोवियत रूस ने कम से कम नौ बार पंजशीर पर कब्जे की कोशिश की। पैदल सेना के अलावा विमानों और हेलिकॉप्टर का भी सहारा लिया मगर हर बार सिर्फ नाकामी हाथ लगी थी।
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