इस्लामाबाद: पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कदीर खान देश में कहीं भी आजादी से आने-जाने के अधिकार समेत अपने मूलाधिकारों को बहाल करने के लिए लंबे समय से अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं। कड़ी जद्दोजहद के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बुधवार को अपने समक्ष पेश होकर अपना दर्द बयान करने का अवसर दिया है। खान ने लाहौर हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है जिसमें हाईकोर्ट ने 'उनकी सुरक्षा के लिए राज्य द्वारा किए गए उपायों' का हवाला देते हुए उन्हें आजादी से कहीं भी आने-जाने देने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
‘मेरे मुवक्किल एक नेशनल हीरो हैं’
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को कहा कि खान पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट और लाहौर हाईकोर्ट में मुद्दा उठा चुके हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट आने के बजाए एक बार फिर से इस्लामाबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए। इस पर खान के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल एक 'नेशनल हीरो' हैं। मुद्दा उनके मानवाधिकार का है। सुप्रीम कोर्ट संविधान के प्रावधानों का इस्तेमाल कर उनकी सुनवाई कर सकता है। उनके मुवक्किल खुद अदालत में पेश होना चाहते हैं। इसके बाद अदालत ने डॉक्टर खान को बुधवार को पेश होने की अनुमति दी। साथ ही सरकारी वकील के इस आग्रह को खारिज कर दिया कि इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में की जाए।
‘दुश्मनों की बुरी नजर से देश को बचाने में योगदान’
अब्दुल कदीर खान को भले ही कोर्ट में वकील ने 'राष्ट्रीय हीरो' बताया हो लेकिन उनकी प्रसिद्धि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परमाणु तकनीक चोरी-छिपे दूसरे देश से लेने-देने के मामले में रही है। खान ने अपनी याचिका में कहा है कि वह पाकिस्तान परमाणु कार्यक्रम के अगुआ रहे हैं। मामले से जुड़े लोगों की मदद से उन्होंने देश को एक परमाणु शक्ति बनाया। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि 'पड़ोसियों और दुश्मनों की बुरी नजर से देश को सुरक्षित रखने में उन्होंने थोड़ा बहुत योगदान दिया।' उन्होंने याचिका में कहा कि उन्हें उनकी हैसियत के मुताबिक सुरक्षा मिली, लेकिन बाद में वही उनके लिए समस्या बन गई।
‘अपनी मर्जी से कहीं जा भी नहीं सकते’
हालत यह है कि हर वक्त सुरक्षाकर्मी उनके घर के पास इस तरह से तैनात रहते हैं कि उनसे कोई मिलने नहीं आ सकता। वह अपनी मर्जी से कहीं नहीं जा सकते। बिना सुरक्षाकर्मियों की इजाजत के किसी समारोह का हिस्सा नहीं बन पाते। हालत ऐसी है कि वह एक तरह से जेल में कैद होकर रह गए हैं। सुरक्षा अधिकारियों की यह कार्रवाइयां अवैध हैं। खान ने कहा कि उनकी यह हालत 2004 से ही बनी हुई है। उन्हें सुरक्षा के नाम पर तभी से घर में नजरबंद कर दिया गया है। उनके घर से कुछ ही दूर उनकी बेटी का घर है लेकिन वह उससे नहीं मिल सकते, यहां तक कि अदालत में भी नहीं जा सकते।
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