इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में लोगों की वैध आकांक्षाओं को समझाने के लिए वार्ताकार नियुक्त करने के भारत के कदम को अवास्तविक बताते हुए कहा कि हुर्यत कॉंफ्रेंस की भागीदारी के बिना संवाद या वार्ता का कोई मतलब नहीं होगा। भारत ने अशांत राज्य में शांति लाने के मकसद से कल खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख दिनेर शर्मा को जम्मू कश्मीर में सभी हितधारकों के साथ सतत वार्ता के लिए अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया। (दुनिया को दहलाने की किम जोंग की साजिश, बना रहा प्लेग और चेचक बम)
शर्मा की नियुक्ति के बारे में एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा कि कदम ईमानदार और वास्तविक नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की घोषणा एक बार फिर से बल प्रयोग की निरर्थकता और वार्ता की अपरिहार्यता को बयां करती है। उन्होंने कहा, हालांकि, किसी भी वार्ता प्रक्रिया के मकसद और परिणाम उन्मुखी होने के लिए तीन मुख्य पक्षों- भारत, पाकिस्तान और कश्मीरियों को शामिल करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में हुर्यत नेतृत्व की भागीदारी के बिना किसी भी संवाद या वार्ता का कोई मतलब नहीं होगा। प्रवक्ता ने कहा कि नामित वार्ताकार को कश्मीरी लोगों की वैध आकांक्षा को समझाने का कार्य दिया गया है।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के मुताबिक जम्मू कश्मीर विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए वार्ता हो। उन्होंने कहा, दक्षिण एशिया में टिका और सतत शांति और स्थिरता के लिए यह जरूरी है। पाकिस्तान उम्मीद करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसे समाधान में अपनी सही भूमिका निभाएगा।
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