इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कबूल किया कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी के लिए 2013 तक काम किया और उनके पास उस समय काम करने के लिए वर्क परमिट (इकमा) भी था। शीर्ष अदालत में अपने वकीलों ख्वाजा हारिस, अमजद परवेज और साद हासमी के जरिए जमा किए गए एक लिखित उत्तर में नवाज ने इन आरोपों को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अपने रोजगार को छिपाया था। संयुक्त जांच दल (JIT) द्वारा सत्तारूढ़ परिवार की दूसरे देशों की संपत्तियों की जांच में दावा किया कि उन्होंने अपने रोजगार के बारे में छिपाया था।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पनामागेट मामले में शीर्ष अदालत द्वारा फैसला सुरक्षित रखने के एक दिन बाद शनिवार को जमा किए गए उत्तर में कहा गया, ‘इकमा व जवाबदाता नंबर एक (प्रधानमंत्री) की कैपिटल FZE के साथ नौकरी पासपोर्ट की उनकी प्रतियों व आम चुनाव 2013 में जमा किए नामांकन पत्र से साफ होता है।’ ख्वाजा हारिस ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत की 3 न्यायाधीशों की पीठ से आग्रह किया था कि उन्हें JIT निष्कर्षो के जवाब में एक लिखित उत्तर देने की अनुमति दी जाए। इससे पहले उनके व उनके परिवार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के लिए दोषी करार देने की रिपोर्ट पर जवाब देने के बजाय शरीफ ने जेआईटी रिपोर्ट व इसके सदस्यों पर कानूनी आपत्ति जाहिर की थी।
हालांकि अपने हालिया उत्तर में प्रधानमंत्री ने शीर्ष अदालत से कहा कि उनके बेटे हसन नवाज कैपिटल FZE के मालिक, निदेशक और सचिव व अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे। इसमें कहा गया है, ‘जवाबदाता नंबर एक कैपिटल FZE में न तो शेयरधारक थे और न ही निदेशक या सचिव थे। न ही वह कंपनी के कभी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे।’ कैपिटल FZE में 'बोर्ड के अध्यक्ष' के रूप में अपने पद के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए प्रधानमंत्री ने पीठ से कहा कि निर्वासन के दौरान यह 2007 के दौरान रस्मी तौर पर पद संभाला गया था और उन्हें कंपनी चलाने या इसके मामलों से कोई लेना-देना नहीं था।
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