इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के भारत के निर्णय के बारे में अन्य देशों को सूचना देने के मकसद से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान से बातचीत की। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने दोनों नेताओं को फोन कर कश्मीर के हालिया घटनाक्रम पर जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इमरान फोन पर विश्व नेताओं के संपर्क में हैं और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन की यात्रा करने वाले हैं जहां वह भारत के साथ संबंधों और कश्मीर की स्थिति को लेकर चर्चा करेंगे।
पाकिस्तान ने सबसे पहले इस मामले में मलेशिया और तुर्की से मदद मांगी थी। इसके अलावा उसने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपोरेशन में भी इस मुद्दे को उठाया था। इसके अलावा पाकिस्तान यूएई के पास इस मामले में मदद मांगने के लिए गया था लेकिन सभी जगहों से अभी तक पाकिस्तान को केवल निराशा और हताशा ही हाथ लगी।
जहां यूएई, मालदीव और श्रीलंका सीधे इस मुद्दे पर भारत की ओर झुके दिखे, वहीं मलेशिया ने इस मसले पर नज़र बनाए रखने और तुर्की ने जल्द ही पाकिस्तान को मदद का आश्वासन देकर टरका दिया है।
ब्रिटेन की संसद भी इस मुद्दे पर बंटी हुई है। कश्मीर पर ‘ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप’ के कुछ सदस्यों ने चिंता व्यक्त की तो कुछ ने भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने उन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाकर भारत ने सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया है।
अमेरिका में दो प्रभावशाली डेमोक्रेटिक सांसदों ने पाकिस्तान से भारत के खिलाफ बदले की कोई भी कार्रवाई करने से बचने और अपने देश में आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का अनुरोध किया। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ कराने में मदद समेत किसी भी तरह की बदले की कार्रवाई से बचना चाहिए और पाकिस्तान की सरजमीं पर आतंकवादी ढांचे के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।’’
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