इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पंजाब की पुलिस ने प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर एक बार फिर नरम रुख अपनाने के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के फैसले का विरोध किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान खान सरकार की ओर से TLP के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को रिहा करने और अन्य के खिलाफ मामले वापस लेने संबंधी घोषणा का पुलिस ने विरोध किया है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि TLP द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्तव्यों का पालन करते हुए कई पुलिसकर्मी मारे गए या घायल हो गए, और हर बार सरकार ने समूह के साथ सुलह कर ली।
पुलिस का कहना है कि सरकार ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि उनके ऊपर पेट्रोल बम और ईंट-पत्थरों से कैसे हमला किया गया और उन्हें घायल किया गया। पुलिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि TLP के लोगों ने उनके वाहनों को आग के हवाले किया है और उनके हथियार व अन्य सामान भी छीना गया है, ऐसे में उनके साथ नरम रुख अपनाना गलत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा TLP के लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति को भी कई बार नुकसान पहुंचाया है।
कानून प्रवर्तन एजेंसी पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने अब तक 350 TLP कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है। मंत्री ने चौथी अनुसूची की लिस्ट की समीक्षा करने का भी वादा किया था, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज सभी पिछले मामलों को वापस लेने के अलावा प्रतिबंधित नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं। एक डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल-रैंक के अधिकारी ने सरकार के इस कदम पर निराशा व्यक्त करते हुए सत्तारूढ़ एलीट क्लास को दोषी ठहराया है।
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार को या तो कानून लागू करने वालों के साथ या फिर TLP के साथ खड़ा होना होगा। TLP के सैकड़ों लोगों को तत्काल रिहा करने का उसने त्वरित समझौते ने संगठन के हिंसक आंदोलन के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा दिए गए बलिदान और उनकी शहादत को नजरअंदाज कर दिया है।’ पुलिस ने रविवार से आतंकवाद और कई अन्य आरोपों के तहत TLP के शीर्ष नेताओं और कट्टर कार्यकर्ताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं।
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